सोच ही निर्धारित करती है जीवन की दिशा — अंकित जैन
व्यापार संगठन है और एक संगठन ही सफल होता है यह कहना है 26 जनवरी 1986 को जन्मे डॉक्टर सोप के डायरेक्टर अंकित जैन का, अपने पिता श्री एके जैन को अपना आइडियल मानने वाले अंकित जैन अपने परिवार की 7 दशक से भी अधिक पुराने अपने पारिवारिक कारोबारी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। हर पैमाने पर अंकित जैन की सोच उन्हें आज के युवाओं के बीच यूथ आईकॉन साबित करती है। उन्होंने युवक पत्रिका के अजय शर्मा के साथ एक इंटरव्यू के दौरान बातचीत की, जिसमें अंकित जी ने जिस प्रकार हर सवाल का जवाब गंभीरता और परिपक्वता के साथ दिया वह उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है…
लाइफ का कोई खास अनुभव जो आप अपने साथी युवाओं से साझा करना चाहे?
अनुभव तो समय के साथ-साथ बहुत सारे मिलते रहते हैं, लेकिन एक अनुभव को साझा करना चाहूंगा आज लोग घर में बैठकर साथ खाना नहीं खा सकते। सामान्य तौर पर हम देख सकते हैं कि बच्चे मोबाइल में व्यस्त होंगे और पेरेंट्स आपस में बातचीत कर रहे होंगे आज हम अपनों को भी समय नहीं दे सकते यह एक समाज का विकृत स्वरूप सामने आ रहा है।
आपकी एजुकेशन कहां से हुई और करियर की शुरूआत कैसे की?
मेरी प्राइमरी एजुकेशन आगरा में ही सेंट पीटर्स कॉलेज से हुई यहां से 12३ँ करने के बाद मैंने पुणे इंस्टीट्यूट आॅफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की उसके बाद मैं यूएस चला गया और वहां वाशिंगटन डीसी से एमबीए की पढ़ाई कंप्लीट की, और वही से मेरे कैरियर की शुरूआत भी हुई, यूएसए की एक प्राइवेट इक्विटी कंपनी में मैंने कुछ समय काम किया। उसके बाद अपने देश वापस आया और फिर अपने फैमिली बिजनेस में एक्टिव हुआ।
आज आप किस-किस बिजनेस सेक्टर में काम कर रहे हैं?
अभी हम अपने ट्रेडिशनल बिजनेस एफएमसीजी के साथ-साथ रियल एस्टेट सेक्टर में काम कर रहे हैं।
आपकी नजर में लाइफ का सक्सेस मंत्रा क्या है?
आज फास्ट फॉरवर्ड लाइफ में हम हर काम में शॉर्टकट सफलता चाहते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। ईमानदारी, मेहनत और लगन से ही सफलता हासिल की जा सकती है। मेरी नजर में यही लाइफ का सक्सेस मंत्रा है।
व्यक्ति की एजुकेशन उसको उसकी प्रोफेशनल लाइफ में सक्सेस बनाने में कितनी सहायक है?
मुझे लगता है कि 25 परसेंट व्यक्ति को सफल बनाने में उसकी एजुकेशन सहायक है बाकी उसके व्यवहार और कार्यकुशलता ही उसकी सफलता को निर्धारित करती है।
शिक्षा सिर्फ करियर का साधन या संस्कारित भी करती है?
देखिए, एजुकेशन का मतलब होता है सीखना जोकि हम स्कूल कॉलेज में सीखते हैं और सोसाइटी में भी सीखते हैं यानी हमें जैसा माहौल मिलता है उससे हम कुछ न कुछ सीखते हैं। इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि अकेली शिक्षा ही हमें संस्कारित बनाती है जहां तक शिक्षा के जरिए कैरियर का सवाल है तो शिक्षा के साथ-साथ आपके संस्कार और संस्कारों से बनी आपकी सोच से ही आपके जीवन की दिशा निर्धारित होती है।
युवाओं के शारीरिक, मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक यानी समग्र विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू क्या है?
समग्र विकास के लिए मुझे लगता है कि हमें नए- नए इनोवेशन के साथ आगे बढ़ना चाहिए। सोशल मीडिया की दुनिया से बाहर निकलकर हमें लोगों से मिलना चाहिए और चीजों की वास्तविकता में जाकर अध्ययन करना चाहिए।
बदलती लाइफस्टाइल में युवाओं के सोचने और काम करने का तरीका बदल रहा है ऐसे में आप युवाओं को एक आदर्श जीवन की क्या सलाह देना चाहेंगे?
मैं यही कहना चाहूंगा कि हमें लाइफ में बेलेंस बनाकर चलना चाहिए हर चीज का एक निर्धारित समय होता है। उसके अनुसार हमें सभी चीजों को समय देना चाहिए।
कहा जाता कि ईश्वर ने सब कुछ पूर्व निर्धारित कर रखा है इस बात से आप कितना इत्तेफाक रखते हैं?
पूर्ण रूप से तो नहीं, हां कुछ प्रतिशत इस बात से इत्तेफाक जरूर रखता हूं लेकिन मेरा मानना है कि इंसान अपनी मेहनत से अपने भाग्य की रेखाओं को बदल सकता है। हमें यह सोचकर नहीं चलना चाहिए कि जो भगवान ने निर्धारित कर रखा है वही होगा और हां एक और बात हमें कहीं न कहीं अपनी हर गलती से सीखना चाहिए व प्रोग्रेसिव सोच रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
हिन्दुस्तान सर्वाधिक युवाओं वाला देश है इस युवा शक्ति के दम पर आप भारत के भविष्य की क्या तस्वीर देखते हैं?
निश्चित रूप से इसमें कोई शक नहीं है कि युवा हिंदुस्तान देश की इस गाड़ी के वह पहिए हैं जिसके बिना देश चल नहीं सकता। मुझे लगता है कि देश की सरकार को युवाओं मैं हर प्रकार के कौशल को विकसित करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए, युवाओं का संपूर्ण विकास ही इस देश का विकास है।
युवाओं में व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ राष्ट्र के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू क्या है?
हम देख रहे हैं कि आज का युवा अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूलता जा रहा है व्यक्तिगत विकास के साथ राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी है कि हम अपनी सभ्यता और संस्कृति के साथ जुड़े रहें। अपने से बड़ों के अनुभव से सीख ले अपने मां-बाप और बड़ों का सम्मान करें।
सोशल मीडिया पर आज का युवा काफी सक्रिय है इसको आप किस नजरिए से देखते हैं?
हर चीज के दो पहलू होते हैं आज के समय में सोशल मीडिया की उपयोगिता को भी नकारा नहीं जा सकता इसके जरिए हम काफी चीजों से बहुत जल्दी अवेयर हो जाते हैं। लेकिन इसकी लत यह बेहद खतरनाक है आज हम देख रहे हैं कि व्यक्तिगत वातार्लाप लगभग खत्म होता जा रहा है सोशल मीडिया व्यक्तिगत संवाद के लिए औपचारिक का केंद्र बन गया है।
लाइफ का अगर कोई लम्हा दोहराने का मौका मिले तो ऐसा कौन सा वक्त है जो आप फिर से जीना चाहेंगे?
बचपन, जिसे मैं फिर से जीना चाहूंगा निश्चित रूप से बचपन व्यक्ति के जीवन का सबसे स्वर्णिम वक्त होता है जहां बेफिक्र हम अपनी जिंदगी जीते हैं।
प्रोफेशनल लाइफ में कोई ऐसी सीख जो आपको आपके पेरेंट्स से मिली?
मुझे अपने पेरेंट्स से काफी कुछ सीखने को मिला, सबसे पहली सीख जो मुझे उनसे मिली वह यह थी कि व्यापार संगठन है और एक संगठन ही सफल हो सकता है, इंडिविजुअल व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। आप हमेशा अपने से ऊपर अपनी कंपनी व अपने व्यापार को रखोगे तो आपकी सक्सेस सुनिश्चित है।