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श्रीकृष्ण दत्त पालीवाल

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, जिन दिनों महात्मा गांधी जी के नेतृत्व मे चलाया जा रहा था, उन दिनों उत्तर प्रदेश (उन दिनों इसे यूनाइटिड प्रोविजन कहा जाता था)  के प्रमुख नेताओं में श्रीकृष्ण दत्त पालीवाल जी एक प्रमुख नेता माने जाते थे। आगरा स्थित उनका निवास इस आंदोलन का प्रमुख केंद्र बन गया था। इसी परिवार में उनके यशस्वी भतीजे श्री प्रेमदत्त पालीवाल भी एक वरिष्ठ राजनेता, पत्रकार और प्रखर राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी के रूप में भी प्रसिद्ध हुए। श्रीकृष्ण दत्त पालीवाल जी के संपादकत्व में जहाँ “सैनिक ” जैसा प्रखर राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित हुआ, जिसमें स. ही.  वात्सयायन “अग्येय” जैसे दिग्गज लोग संपादक रहे और तत्कालीन हिंदी जगत के सभी बड़े लेखकों के लेख, कविताएं एवं स्वाधीनता संग्राम से संबंधित रचनाएं प्रकाशित हुईं थीं,।आचार्य श्रीराम शर्मा और अक्षय कुमार जैन जैसे दिग्गज लोगों ने सैनिक का संपादन किया है।

श्री प्रेमदत्त पालीवाल

भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी ने इसमें लेख लिखे है। वहीं, 1951  से श्री प्रेमदत्त पालीवाल जी ने भी “युवक ” नाम से एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया। युवक पत्रिका के प्रकाशन के पीछे स्पष्ट ध्येय युवा वर्ग को राष्ट्रीय भावना से जोड़ना और उन्हें सही मार्गदर्शन देना था। विशेष उल्लेखनीय बात यह थी कि श्री प्रेमदत्त पालीवाल जी युवक कांग्रेस के संस्थापक सदस्य भी थे और उन दिनों कांग्रेस की विचार धारा से युवाओं को जोडना एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का काम समझा जाता था। वैसे, पालीवाल परिवार गांधीवाद से प्रभावित होने के बावजूद, गरमदल के लोगों को अधिक महत्व देते थे। ” युवक”पत्रिका ने भी अपने समय में अपार ख्याति प्राप्त की और इस में भी अपने समय के सभी श्रेष्ठ साहित्यकारों, कवियों, लेखकों की रचनाएं निरंतर छपती रहीं। यह भी कहा जाता है कि अनेक लेखकों ने तो अपना कैरियर ही युवक पत्रिका से शुरू किया।  

श्रीमती सुधा रानी पालीवाल

सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने और ऐसे ही विप्लवी युवाओं को संगठित करने के कारण वह सरकार की निगाह में आ गये और लगभग चार साल फरार रहे। फरारी का समय उन्होने अपने साले साहब के पास चुपचाप, पिलानी में काटा। वह बम बनाना जानते थे और आगरा बम कांड में उनका नाम आया था। यह पत्रिका 1951 से निरंतर प्रकाशित होकर, सन 2000 में, 50  वर्षों तक अनवरत छपने के बाद, कुछ पारिवारिक कारणों से बंद हो गई और पुनः 2016 से इस का नियमित प्रकाशन प्रारंभ हुआ है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उल्फत सिंह चौहान के यशस्वी पुत्र डा0 प्रणवीर चौहान इस पत्रिका के दसियों सालों तक संपादक रहे और आज भी उनका आशीर्वाद पत्रिका को प्राप्त है।

डा0 श्रीमती वंदना पालीवाल

वर्तमान में श्री प्रेमदत्त पालीवाल जी की धर्मपत्नी श्रीमती सुधा रानी पालीवाल इस पत्रिका की देख रेख करती हैं और उनकी पुत्रवधू श्रीमती डा0 वंदना पालीवाल इस की संपादक हैं। सुधारानी पालीवाल जी ने अपने समय में हिंदी और संस्कृत साहित्य में न केवल एम ए किया था, बल्कि साहित्य रत्न की परीक्षा पास की थी। डा 0 वंदना पालीवाल भी शिक्षिका रही हैं। इन दिनों इस पत्रिका के परामर्श संपादक, श्री अजय शर्मा हैं, जो सुविग्य पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता है। ग्यानेंद्र गौतम इस की संपूर्ण व्यवस्था देखते हैं। रोशन लाल गुप्त जी के पुत्र श्री करुणेश, भी इस पत्रिका से जुड़े हुए हैं। लगभग एक वर्ष तक मुझे भी इस पत्रिका का एसोसियेट एडीटर रहने का सौभाग्य मिला था।

लेखक :- ब्रज गोपाल रॉय ‘चंचल’