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भारत के भरोसे के लायक नहीं रहे इमरान खान

इमरान खान की शख्सियत को समझना भी एक कठिन काम है। उन्हें भारत ने एक सफल क्रिकेटर के रूप में बेपनाह प्रेम और स्नेह दिया। उन्होंने जब अपनी मां के नाम पर लाहौर में एक कैंसर अस्पताल खोला तो भारत के बहुत सारे बड़े उद्योगपतियों और फिल्मी सितारों ने भी दिल खोलकर उन्हें धन दिया। उन्होंने क्रिकेट छोड़ने के बाद सियासत की दुनिया में जब कदम रखा तो उन्हें भारत में बार-बार कुछ खास सेमिनारों में आमंत्रित किया जाने लगा। वो उन सेमिनारों में अपने देश का ही पक्ष रखते रहे। यहां तक तो सब ठीक है। पर जिस भारत ने उन्हें एक क्रिकेट नायक के रूप में अभूतपूर्व सम्मान दिया उसके बदले में उन्होंने हमेशा दिया धोखा और वादाखिलाफी। पहले हाल की ताजा घटना पुलवामा आतंकी हमले की ही बात कर लेते हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में विगत फरवरी में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 से अधिक जवान शहीद हो गए। उस कायरता पूर्ण कार्रवाई से भारत सन्न रह गया। सारा देश उस वक्त शोकमग्न और स्तब्ध था। सारी दुनिया ने उस हमले की निंदा की। पर इमरान खान ने उस हमले में शहीद हुए जवानों के परिवारों के प्रति कोई संवेदना तक व्यक्त नहीं की। जरा सोच लीजिए कि वो कितने पत्थर दिल इंसान हैं। जिस भारत ने उन्हें अपना माना और सम्मान दिया, उसके साथ वह तब भी खड़े नहीं हुए जब भारत शोकाकुल था। वे सच में बेहद निर्मम और बेशर्म इंसान हैं। उनमें सामान्य शिष्टाचार तक भी नहीं है। वो अकारण दंभी हैं।

इमरान खान के इस तरह के आचरण में भारत ने साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों में बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पाकिस्तान के समकक्षीय प्रधान इमरान खान से मिलने का कोई कार्यक्रम ही नहीं है। वहां पर ज्यादा से ज्यादा मोदी हाथ मिला लेंगे इमरान खान से। या मोदी जी उनके अभिवादन का उत्तर अपने चिर-परिचित नमस्कार मुद्रा में औपचारिक रूप से दे देंगे। इमरान खान ने न केवल भारत को बल्कि अपने पाकिस्तान के अवाम को भी हताश ही किया है। उनके नेतृत्व में पाकिस्तान तो हर दिन गर्त में ही जा रहा है। पाकिस्तानियों की मंहगाई ने कमर तोड़ कर रख दी है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया धूल में मिल चुका है। मंहगाई से त्रस्त पाकिस्तानियों की ईद भी इस बार फीकी रही। वहां का अवाम इमरान को तो अब दिन-रात कोस रहा है। इमरान खान से अब सारा पाकिस्तान निराश हो चुका है। उन्होंने अपने मुल्क को भरोसा दिया था कि पाकिस्तान को अरब सागर में कच्चे तेल के भंडार मिलने वाले है। पर अब खबर आ गई है कि पाकिस्तानी तट पर कोई तेल के भंडार ही नहीं हैं। अब पाकिस्तान सरकार ने भी यह कह दिया है कि अब तेल खोज का काम बंद कर दिया गया है। हालांकि इमरान खान दावा कर रहे थे तेल के भंडार मिलने से पाकिस्तान की किस्मत खुल जाएगी। पाकिस्तान अपने अधिकार क्षेत्र वाले अरब सागर में कराची के पास 5500 मीटर की गहराई तक तेल खोज का कार्य कर रहा था। पहले से कंगाल पाकिस्तान सरकार का इस कथित तेल खोज के कार्य पर करीब 100 मिलियन डॉलर का खर्च आ गया। इमरान खान को इतना भी पता नहीं कि तेल खोज के प्रयास का यह मतलब नहीं होता कि हर हाल सफलता मिल ही जाएगी। मतलब यह हुआ कि जो शख्स अपने मुल्क के साथ ही झूठ बोल सकता है, उससे भारत को अतिरिक्त रूप से सतर्क रहने की आवशयकता है। इमरान खान का दोहरा चरित्र है। वो और उनकी सरकार कश्मीरी मुसलमानों को लेकर घड़ियाली आंसू बहाते रहते हैं। पर वो चीन में गुजरे कई वर्षों से मुसलमानों पर हो रहे जुल्मों-सितम पर बोलने से एकदम से बचते हैं। कुछ समय पहले उनसे एक विदेशी पत्रकार ने चीन के मुसलमानों की स्थिति पर पूछा तो उन्होंने बड़ी मासूमियत से कहा कि उन्हें तो इस संबंध में कोई जानकारी ही नहीं है। चीन सरकार ने मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत में रहने वाले मुसलमानों का जीवन को नरक कर रखा है। उन्हें ईद पर रोजा रखने तक की अनुमति नहीं दी गई। उन पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं। पर इमरान खान या उनकी सरकार की जुबान नहीं खुल रही। क्यों नहीं पाकिस्तान और इस्लामिक देशों का संगठन आॅर्गनाइजेशन आॅफ इस्लामिक कारपोरेशन (ओआईसी) चीन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की हिम्मत करते । चीन के शिनजियांग प्रांत के मुसलमानों को कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा रू-ब-रू करवाया जा रहा है। इन शिविरों में लाखों मुसलमान जबरदस्ती रखे गये हैं । इन्हें रोज डराया-धमकाया जाता है। जरुरत पड़ने पर भूखा भी रखा जाता है और जमकर पिटाई भी की जाती है ये सब कुछ इसलिए हो रहा है ताकि चीनी मुसलमान कम्युनिस्ट विचारधारा को अपना लें। वे इस्लाम की मूल शिक्षाओं से दूर हो जाएं। खैर, इमरान खान चीन के मुसलमानों के पक्ष में बोले या न बोलें यह हमारी चिंता का विषय तो नहीं है। भारत को अब पाकिस्तान से वार्ता करने से पहले गंभीरता से सोच-विचार करना होगा। भारत जानता भी है कि वर्तमान में पाकिस्तान में एक भारत विरोधी प्रधानमंत्री सत्ता पर काबिज है। ?

लोकसभा चुनाव के नतीजों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अभूतपूर्व सफलता के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जीत की बधाई का संदेश भेजा था। उसमें उन्होंने उम्मीद जताई थी कि दोनों देशों के संबंधों में अब सुधार होगा। उनकी इस सदिच्छा का भारत आदर करता है। हमेशा से करता भी रहा हैक पर इमरान खान ने या पाक के पूर्व शासकों ने कभी पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री का धर्म नहीं निभाया। अत: भारत अपने पड़ोसी से वार्ता को लेकर भी अभी कोई उत्साह नहीं दिखा रहा है। इसलिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ चीन की यात्रा के दौरान कहीं मिलने का कोई कार्यक्रम नहीं है।

डॉ. वंदना पालीवाल