भारतीय जनसंघ की राष्ट्रवाद की परिकल्पना से उपजी है — भारतीय जनता पार्टी
डॉ. राम नरेश शर्मा
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की विचारधारा से उपजी भारतीय जनता पार्टी आज अपने स्वर्णिम काल में है। 06 अप्रैल, 1980 को गठित भारतीय जनता पार्टी के मूल में स्वर्गीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा निर्मित भारतीय जनसंघ की एक राष्ट्रवाद की परिकल्पना है तो दूसरी तरफ राष्ट्र के पुनरुत्थान का जज्बा भी। 06 अप्रैल, 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद पार्टी का पहला अधिवेशन दिसंबर 1980 में मुंबई में हुआ था। इस अधिवेशन में भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि भाजपा का अध्यक्ष पद कोई अलंकार की वस्तु नहीं है, यह पद नहीं दायित्व है, प्रतिष्ठा नहीं है, परीक्षा है, यह सम्मान नहीं है चुनौती है, मुझे भरोसा है कि आपके सहयोग से और देश की जनता के समर्थन से मैं इस जिम्मेदारी को ठीक तरह से निभा सकूंगा। अपने भाषण के अंत में उन्होंने कहा, “भारत के पश्चिमी तट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर मैं यह भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छटेगा सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा। 41 साल पहले की गई अटल जी की यह भविष्यवाणी आज सच हो रही है और 11 करोड़ से अधिक कार्यकर्ताओं के साथ विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में भारतीय जनता पार्टी लोगों के सामने है। अटल जी ने न सिर्फ अपने वादों को निभाया बल्कि भारतीय जनता पार्टी को भारत के राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में एक श्रेष्ठ स्थान दिलवाया जिसकी वजह से आज एक मजबूत राजनैतिक दल के रूप में देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एक अलग पहचान भारतीय जनता पार्टी बना चुकी है। अयोध्या में भगवान रामलला के मंदिर के लिए संघर्ष हो, जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को लेकर चली आ रही गफलत हो या फिर देश को एकजुट करने की बात हो, भारतीय जनता पार्टी देशवासियों से किए गए अपने वचन को पूरा करने में सफल रही है। हमारा नेतृत्व हमेशा से ही शक्तिशाली, दूरदर्शी और राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत रहा है। हम जब अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण अडवाणी के अध्यक्षीय काल को याद करते हैं तो उसे भी युग की संज्ञा दी जाती है उसे अटल-अडवाणी युग कहा जाता है। मुरली मनोहर जोशी का कार्यकाल हो, कुशाभाऊ ठाकरे, जिनको मध्य प्रदेश में पार्टी को खड़ा करने का श्रेय जाता है, आज इन सभी पुरोधाओं के अथक परिश्रम से पार्टी राजनीति के अपने सर्वोच्च शिखर पर है। मध्य प्रदेश की राजधानी के जिस जिला कार्यालय का कायाकल्प कर आज हम पार्टी के कार्यकर्ता प्रसन्न हो रहे हैं यह उनकी ही डाली गई नींव पर खड़ा है। के. जना कृष्णामूर्ति, बंगारू लक्ष्मण, हमारे वर्तमान उपराष्ट्रपति एम. वैंकया नायडू, वर्तमान केंद्रीय सरकार में मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडगरी, अमित शाह और अब वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, सबका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारतीय जनता पार्टी के 41 साल के इतिहास में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्षों की एक वैभवशाली परंपरा रही है। चाहे फिर वह राष्ट्रीय अध्यक्ष हों या फिर राज्यों के अध्यक्ष, वर्तमान में देश के सबसे अधिक राज्यों में भारतीय जनता पार्टी और उनके सहोयगी दलों की सरकार है। अगर 2011 जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से बात करें तो 2018 में बीजेपी जिन राज्यों में सरकार में थी, वहां की कुल आबादी करीब 84 करोड़ थी, यानी देश की कुल जनसंख्या का 70 फीसदी। यह सफलता हमने हमारे प्रधानसेवक नरेन्द्र मोदी व राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अमित शाह के नेतृत्व में हासिल की गयी है। भारतीय जनता पार्टी अपने स्थापना से ही पंच निष्ठाओं को लेकर चली है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पार्टी के स्थापना दिवस पर पार्टी की इन पंच निष्ठाओं को लेकर लिखा था 1- राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय एकता: भाजपा इसको मंत्र मानकर चलती है और इससे कोई भी समझौता न किया है और न करेगी इस संकल्प के साथ हम आगे बढ़े हैं। 2- लोकतंत्र: हमारे काम करने की पद्धति फिर चाहे वह पार्टी हो या देश हो, लोकतंत्र पर अटूट विश्वास इसी को लेकर हम चले हैं। 3- सामाजिक और आर्थिक विषय पर गांधीवादी दृष्टिकोण: इसको भी हम लोगों ने बखूबी निभाते हुए हम आगे बढ़े हैं। 4- सकारात्मक पंथनिरपेक्षता: इसको भी हम लोगों ने बखूबी निभाया है। सभी को बराबर का सम्मान देना, सभी का बराबर ध्यान रखना और किसी का भी शमन न करना इसको ध्यान हम लोगों ने माना है। 5- मूल्यों पर आधारित राजनीति: इस पर हम लोगों ने कभी भी समझौता नहीं किया है। भारतीय जनता पार्टी की यात्रा दो से शुरू होकर 303 तक पहुँची है जो अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 352 सांसदों के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के रूप में लोकतंत्र के मंदिर में देश को एक नए भारत की तरफ ले जा रही है। एक भारत श्रेष्ठ भारत, नया भारत, समृद्ध भारत की परिकल्पना को पार्टी नेता साकार करने में लगे हैं।