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कूल्हे के दर्द को न करें इग्नोर

दर्द कैसा भी हो, दैनिक जीवन में बाधा डालता है। कूल्हों का दर्द भी ऐसा ही है, जिसके होने से रोजमर्रा के काम करने में परेशानी सामने आने लगती है। कई बार कूल्हे में दर्द का कारण शरीर में कहीं और आईकोई गड़बड़ी भी होती है। ऐसे में पहचान जरूरी है। कमर, गर्दन और कलाई के दर्द के बीच एक और दर्द है, जो बहुत चुपके से हमारी जिंदगी में जगह बना लेता है। उसे अकसर हम नजरअंदाज कर देते हैं, कभी-कभी हमें ठीक ढंग से उसका एहसास ही नहीं होता। ये है कूल्हे का दर्द , जिसकी जड़ तक पहुंचे बिना ही हम इसे कमर दर्द का असर या अपनी थकावट का नतीजा मान लेते हैं। बेशक डॉक्टर मानते हैं कि इसके मामले ज्यादा नहीं आते, लेकिन लक्षणों को पहचानकर बचाव और उपाय करना जरूरी है। दरअसल, कूल्हे में हड्डियों के बीच एक तरह का द्रव होता है। इसी द्रव या लिक्लूइड की मदद से कूल्हे की हड्डियां सहजता से काम करती हैं। उम्र बढऩे के साथ या किसी अन्य वजह से जब हड्डियों में क्लूइड की कमी हो जाती है, तब कूल्हे में दर्द रहने लगता है। क्लूइड की कमी की वजह से हड्डियों में रगड़ पैदा होने लगती है। इस रगड़ से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उनमें टूट-फूट भी हो सकती है। यहीं से शुरू होता है हिप पेन से जुड़ी समस्याओं का सिलसिला।

कूल्हे में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। अकसर इन कारणों पर सीधे तौर से ध्यान नहीं जाता है। इसमें जांघों में तेज दर्द होता है। कभी कूल्हे के जोड़ों के भीतर दर्द का अहसास होता है। कभी ये दर्द शरीर के अन्य हिस्सों जैसे कमर और नितंब तक पहुंच जाता है। ज्यादा तेज गति से कुछ काम करने पर ये दर्द बढ़ता हुआ भी महसूस हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से मिलकर परामर्श करना ही सबसे बेहतर तरीका होता है।हमारे शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द तब होता है, जब उस हिस्से की सामान्य संरचना में गड़बड़ी आ जाती है। ऐसा किसी चोट लगने से हो सकता है, किसी संक्रमण से, या मांसपेशियों के असंतुलन के कारण भी हो सकता है। मांसपेशियां सत होने पर भी यह दर्द होता है। शरीर में जोड़ों के अंदर जो मांसपेशियां हैं, उनमें कठोरता आने के कारण दर्द पैदा होता है। ऐसे में मांसपेशियों को आराम देकर दर्द से राहत मिलती है। हिप पेन का मामला भी ऐसा ही है। हालांकि कूल्हे के दर्द के मरीजों का आंकड़ा काफी कम है। सौ में से दस मरीज ही इस दर्द से ग्रस्त होते हैं। फिर भी इसे नजरअंदाज करना समझदारी नहीं है। ज्यादातर मामले हमें गंभीर समस्याओं की तरफ ले जाते हैं। मसलन, कई बार कूल्हे में दर्द हो रहा होता है और जांच में मालूम चलता है कि मरीज की डिस्क खिसकी हुई है। कई बार कूल्हे के जोड़ में रक्त आपूर्ति कम होने से भी दर्द होता है, जोड़ क्षतिग्रस्त होने लगता है। इसके अलावा जो लोग नशा करते हैं, उनमें भी कूल्हे के दर्द की समस्या होती है। यह समस्या कई बार इतनी ज्यादा हो जाती है कि हिप जॉइंट रिह्रश्वलेसमेंट सर्जरी करानी पड़ती है। कूल्हे के दर्द को नजरअंदाज करना या अपनी मर्जी से किसी तरह व्यायाम करके उसे ठीक करने की कोशिश ना करें। एक-दो दिन से ज्यादा दर्द रहने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कूल्हे में दर्द ऑस्टियोआथ्र्राइटिस की समस्या की वजह से भी हो सकता है। इसके अलावा कोई चोट लगने के बाद भी ये समस्या सामने आ सकती है। बॉल जॉइंट में गड़बड़ी हो तो भी कूल्हे में दर्द हो सकता है। कई मामलों में अगर खून का दौरा कम हो जाता है, तब भी ये समस्या हो सकती है। ज्यादा धूम्रपान करने की वजह से भी ये समस्या हो सकती है। जो व्यक्ति लंबे समय से स्टेरॉइड्स ले रहे हैं, उसका असर भी जोड़ों पर हो सकता है। इसमें पूरा कूल्हा बदलना पड़ सकता है, इसे हिप ऑथ्र्रोह्रश्वलास्टी कहते हैं।

उचित आहार और सिकाई देंगे राहत
प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. राजेश मिश्रा के अनुसार, ‘कूल्हे के दर्द के जो कारण सामने आते हैं, वो हैं कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी, बढ़ती उम्र और व्यायाम की कमी। इसके अलावा चीनी का सेवन ज्यादा करने से भी तकलीफ होती है। इस समस्या को हम वात विकार में शामिल करते हैं। जब मलक्रिया ठीक नहीं होती, तभी ये समस्या होती है। इसके लिए आंतों का साफ रहना जरूरी है। इसे खान-पान से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए अल्कलाइन डाइट लेनी चाहिए और कैल्शियम प्रधान भोजन लेना चाहिए। इसमें मूल रूप से हरी सब्जीयां शामिल होंगी। इसके साथ तिल का भी सेवन करें। इसके लिए तिल को भिगोकर पेस्ट बनाकर आटे में मिलाकर रोटी बनाएं। मेथी का सेवन करें। फाइबर वाला आटा इस्तेमाल करें। दर्द के मामले में दर्द में सिकाई भी कर सकते हैं। यहभी देखना होगा कि दर्द नया है या पुराना है। नया होगा तो गर्म पानी और ठंडे पानी से एक-एक करके सिकाई की जाएगी। 3 मिनट गर्म पानी की सिकाई और 1 मिनट ठंडा। इस तरह चार बार करना होगा। वहीं अगर दर्द पुराना है, तो स्टीम बाथ और मालिश करना असरदार साबित होता है। मालिश के लिए तिल का तेल इस्तेमाल करना चाहिए। जोड़ों की सही सक्रियता के लिए पर्याप्त पानी पीना भी जरूरी है।
ये भी हैं कूल्हे में दर्द के कारण:-

आथ्र्राइटिस
जो लोग आथ्र्राइटिस यानी गठिया के रोग से पीडि़त हैं, उन्हें भी कूल्हे में दर्द की समस्या हो सकती है। आथ्र्राइटिस में जोड़ों में दर्द रहता है। इस समस्या के दौरान हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। जैसे-जैसे समस्या बढ़ती है, दर्द भी बढ़ता है। कुछ हिप पेन ऐसे भी होते हैं, जिनमें ऑस्टियोपोरोसिस मुक्य कारण होता है। ऑस्टियोपोरोसिस का संबंध हड्डियों के कमजोर होने से है। अकसर इसका असर भी कूल्हे पर पड़ता है, जिसके कारण दर्द रहने लगता है।

फ्रैक्चर
फ्रैक्चर भी इसका अहम कारण है। अकसर फिसलने या गिरने की वजह से इस तरह के फ्रैक्चर सामने आते हैं। इनकी वजह से उम्रदराज लोगों को ज्यादा समस्या सामने आती है और कूल्हे में दर्द होने लगता है।

नसों में चोट
नसें हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। नसें ही हमारे शरीर में रक्त संचारित करती हैं। इन्हीं के जरिए मांसपेशियां हड्डियों से जुड़ी होती हैं। इनमें किसी वजह से चोट लगने या नस दब जाने या गलत मूवमेंट हो जाने से भी काफी तेज दर्द होता है। ये दर्द मांसपेशियों के दर्द के मुकाबले देर से ठीक होता है।

कैंसर
किसी भी तरह का कैंसर जो हड्डियों तक पहुंच जाता है, कूल्हे में दर्द का कारण बन सकता है।

जोड़ों में संक्रमण
ये कूल्हे में दर्द का सामान्य कारण नहीं है, पर इसकी वजह से भी दर्द हो सकता है। कूल्हे के जोड़ों में किसी तरह का संक्रमण होने से भी दर्द, सूजन और खिंचाव पैदा हो सकता है।

मांसपेशियों में दर्द
वक्त के साथ मांसपेशियां भी कमजोर होती जाती हैं और उनमें दर्द शुरू होने लगता है। हमारे शरीर में होनेवाली हर गतिविधि का भार मांसपेशियों, नसों और लिगामेंट्स (अस्थिबंध) पर पड़ता है। लिगामेंट्स पर ज्यादा भार पडऩे से नुकसान हो सकता है। इसकी वजह से भी कूल्हे का दर्द पैदा होता है, जिसे ठीक होने में काफी समय लगता है। किसी भी तरह की मोच या झटका लगने से भी हिप पेन हो सकता है।