अनुवाद के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का योगदान
सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पिछले कुछ दशकों से शीघ्र गति से विकास हुआ है। यह मनुष्य को सोचने विचारने और संप्रेषण करने के लिए तकनीकी सहायता उपलब्ध कराती है। सूचना प्रौद्योगिकी के अंतर्गत कंप्यूटर के साथ-साथ माइक्रोइलेक्ट्रोनिक्स और संचार प्रौद्योगिकियाँ भी शामिल है और इसके विकास का नवीनतम रूप हमें इंटरनेट, मोबाइल, रेडियो, टेलीविजन, टेलीफोन, उपग्रह प्रसारण, कंप्यूटर के रूप में दिखाई देता है। इन सबके द्वारा आज सूचना प्रौद्योगिकी ने पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया है। कंप्यूटर का विकास सर्वप्रथम ऐसे देशों में हुआ जिनकी भाषा मुख्यत: अंग्रेजी थी। यही कारण है कि रोमनेतर लिपियों में कंप्यूटर पर कार्य कुछ देरी से आरंभ हुआ। ऐसा कोई तकनीकी कारण नहीं है कि अंग्रेजी कंप्यूटर के लिए आदर्श भाषा समझ ली जाए। कंप्यूटर की दो संकेतों की अपनी एक स्वतंत्र गणितीय भाषा है और उसी में वह हमारी भाषाओं को ग्रहण करके अपने समस्त कार्य करता है।
कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के अंतर्गत प्राकृतिक भाषा संसाधन के क्षेत्र में विश्व भर में अनेक विशेषज्ञ प्रणालियों का विकास किया गया है, जिनके माध्यम से कंप्यूटर साधित भाषा शिक्षण, मशीनी अनुवाद और वाक-संसाधन से संबंधित विभिन्न अनुप्रयोग विकसित किए गए हैं। हिंदी में कंप्यूटरीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्तर पर ही नहीं बल्कि गैरसरकारी स्तर पर भी अनेक संस्थाओं द्वारा हिंदी सॉμटवेयर के निर्माण में सक्रिय रूप से कार्य प्रगति पर है। सरकारी और गैरसरकारी प्रयत्नों के कारण हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ जन सामान्य तक पहुंचा है। हिंदी में अनेक पोर्टल भी प्रारंभ हो गए हैं। पोर्टल के माध्यम से देश-विदेश की खबरें, वगीकृत विज्ञापन, कारोबार संबंधी सूचनाएं, शेयर बाजार, शिक्षा, मौसम, खेलकूद, पर्यटन, साहित्य, संस्कृति, धर्म, दर्शन आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। आज इस बात की आवश्यकता महसूस की जा रही हैं कि उपयोगकर्ता को इनका समुचित प्रशिक्षण दिया जाए। भारतीय भाषा कंप्यूटिंग या हिंदी भाषा कंप्यूटिंग का अंतिम लक्ष्य यह निश्चित करना है कि सूचना प्रौद्योगिकी जनमानस तक उसकी अपनी भाषा में पहुँचे ताकि वह नई टैकनोलॉजी से काम करने में अधिक आसानी महसूस करे। हमारे देश में सूचना प्रौद्योगिकी की विकासात्मक और सामाजिक दोनों ही भूमिका हैं। विकासात्मक भूमिका में इसका संबंध विभिन्न अनुप्रयोग के लिए नई टेक्नॉलॉजी का डिजाइन और विकास करने से है किंतु सामाजिक भूमिका में यह भाषिक अवरोध को तोड़ती है और हिंदी भाषा या अन्य भारतीय भाषाओं का प्रयोग करके सूचना की प्राप्ति से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच अन्तर को कम करती है। इस दिशा में शोध कार्यों के विकास और प्रसार का कार्य बड़े पैमाने पर किया गया है, जिसका प्रभाव से पूरे समाज पर व्यापक रूप से पड़ना चाहिए।
आज जरूरत है अपने प्रयासों को तेजी से अमल में लाने की तथा संभावनाओं को वास्तविकता में बदलने की। राजभाषा विभाग सी-डैक, पुणे के माध्यम से कंप्यूटर पर हिंदी प्रयोग को सरल व कुशल बनाने के लिए विभिन्न सॉμटवेयरों द्वारा हिंदी भाषा को तकनीकी से जोड़ने का सफल प्रयास ‘प्रगत संगणन विकास केन्द्र (सी-डैक), पुणे’ ने किया है। ‘एप्लाइड आर्टिफिशियल इंटैलीजेंस ग्रुप, प्रगत संगणन विकास केंद्र, पुणे’ द्वारा निर्मित सॉμटवेयर में विभिन्न भारतीय भाषाओं के माध्यम से इंटरनेट पर हिंदी सीखने के लिए लीला सॉμटवेयर विकसित किया है। लीला सॉμटवेयर के माध्यम से हिंदी प्रबोध, प्रवीण और प्राज्ञ पाठयक्रम असमी, बांग्ला, अंग्रेजी, कन्नड़ मलयालम, मणिपुरी, मराठी, उड़िया तमिल, तेलुगू, पंजाबी, गुजराती, नेपाली और कश्मीरी के द्वारा इंटरनेट पर सीखे जा सकते हैं। हिंदी प्रबोध, प्रवीण एवं प्राज्ञ पाठक्रम के प्रशिक्षण के मूल्यांकन हेतु आॅन लाइन परीक्षा प्रणाली का विकास भी किया जा रहा है। इंटरनेट के माध्यम से ही परीक्षा दी जा सकेगी। द्विभाषी-द्विआयामी अंग्रेजी-हिंदी उच्चारण सहित ई-महाशब्दकोश का विकास किया गया है। ई-
महाशब्दकोश में हर शब्द का उच्चारण दिया गया जो कि किसी और शब्दकोश में नहीं मिलता। हिंदी शब्द देकर भी उसका अंग्रेजी में अर्थ खोज सकते हैं। प्रत्येक अंग्रेजी और हिंदी शब्द के प्रयोग भी दिए गए हैं। आज सूचना प्रौद्योगिकी की विस्तृत भूमिका को देखते हुए विश्व स्तर पर हिंदी भौगोलिक सीमाओं को पार कर सूचना टेक्नोलॉजी के परिवर्तित परिदृश्य में विभिन्न जनसंचार माध्यमो तक पहुँच रही है। हिंदी के नए सॉμटवेयर हों या इंटरनेट, कंप्यूटर क्नोलॉजी अनेक चुनौतियों को स्वीकार कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जनमाध्यमों में अपनी मानक भूमिका के लिए संघर्षरत है। आज के दौर में इंटरनेट पर सभी तरह की महत्वपूर्ण जानकारियाँ व सूचनाएँ उपलब्ध हैं जैसे परीक्षाओं के परिणाम, समाचार, ई-मेल, विभिन्न प्रकार की पत्र-पत्रिकाएं, साहित्य, अतिमहत्त्वपूर्ण नकारी युक्त डिजिटल पुस्तकालय आदि। परन्तु ये प्राय: सभी अंग्रेजी भाषा में हैं। अत: कई हिंदी भाषी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करने में भाषाई कठिनाई महसूस करते हैं और कम्प्यूटर के उपलब्ध होते हुए भी वे कम्प्यूटर व इंटरनेट का उपयोग करने से वंचित रह जाते हैं। यदि इंटरनेट एक्सप्लोरर का संपूर्ण इंटरफेस हिंदी (देवनागरी लिपि) में होने के साथ-साथ इसमें वेबपृष्ठ के अंग्रेजी-पाठ को माउस क्लिक के माध्यम से हिंदी में अनुवाद करने की सुविधा सहित हो तो अंग्रेजी भाषा की बाधा हिंदी भाषी कम्प्यूटर उपयोक्ताओं के काम में बाधा नहीं रहेगी। वेबपृष्ठ पर अनुवाद सुविधा कम्प्यूटर उपयोक्ताओं के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध सूचना को उनकी अपनी ही भाषा में समझने में सहायक होगी। ?
आने वाली शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय संस्कृति की शताब्दी होगी और सम्प्रेषण के नए-नए माध्यमों व आविष्कारों से वैश्वीकरण के नित्य नए क्षितिज उद्घाटित होंगे। इस सारी प्रक्रिया में अनुवाद की महती भूमिका होगी। इससे वसुधैव कुटुम्बकम की उपनिषदीय अवधारणा साकार होगी। इस दृष्टि से सम्प्रेषण-व्यापार के उन्नायक के रूप में अनुवादक एवं अनुवाद की भूमिका निर्विवाद रूप से अति महत्त्वपूर्ण सिद्ध होती है। आज के दौर में अनुवाद हमारे परिवेश का एक अभिन्न अंग बन चुका है। सच तो यह है कि सूचनाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिए अनुवाद सशक्त माध्यम है और जिसके प्रचार-प्रसार में सूचना प्रौद्योगिकी अपनी अहम भूमिका निभाती है।
सम्पादकीय — डॉ. वंदना पालीवाल