YOGA न्यूरोपैथी एवं नेचुरोपैथी है चिकित्सा का अद्भुत विज्ञान
डॉ. रामनरेश शर्मा
योग और आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सापद्धति है। आज के समय लोगों को कई तरहके शारीरिक व मानसिक बीमारियों का सामनाकरना पड़ रहा है और इनकी वजह है हमाराबदलता खानपान और जीवनशैली। शुगर, हाईब्लड प्रेशर, कैंसर, जैसे असाध्य रोगों के लिएभी योग न्यूरोपैथी और नेचुरोपैथी बहुत हीकारगर है। इन पद्धितयों के द्वारा शारीरिक हीनहीं मानसिक रोगों को भी दूर किया जासकता है। आज के समय बीमारियों के उपचारमें हम कई तरह की दवाइयाँ लेते है जो तुरंतथोड़ी दर्द आदि में राहत तो प्रदान करती हैलेकिन इनके कुछ साइड इफेक्ट होते है जो कीबाद में दिखाई देते है। इन दवाइयों में कई तरहके केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है जोकी शरीर को कई तरह की हानि पहुँचाता है।आज के इस लेख में हम जानेंगे कुछ ऐसी योगकी पद्धतियों के बारे में जिनसे बीमारियों औररोगों को पूरी तरह दूर किया जा सकता है।
1 शिरोधारा: इस पद्धति में स्वास्थ्य केलिए लाभकारी तेल में कई तरह कीऔषधीय गुणों से युक्त जड़ी बूटियों कोमिलाया जाता है। इसके बाद व्यक्ति को लिटा दियाजाता है और उसके मस्तिष्क पर तेल की धारा कोछोड़ा जाता है। यह तेल की धार जब व्यक्ति केमस्तिष्क पर गिरती है तो यह नसों को आरामपहुँचाती है और इससे अनिद्रा, तनाव औरअवसाद से मुक्ति मिलती है।
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2 शिरोवस्ती: इस प्राचीन आयुर्वेदिकचिकित्सा पद्धति द्वारा भूलने की बीमारीयानि अल्जाइमर्स को भी दूर किया जाताहै इसके अलावा जिन लोगो को सरदर्द और तनावजैसी समस्या है उसमें भी यह बेहद लाभकारी है।इस प्रक्रिया में सर पर आयुर्वेदीय तेल में औषधियांमिलायी जाती है इसके बाद एक चमड़े से बनीटोपी सर पर पहनाई जाती है जो की दोनों और सेखुली होती है। इस टोपी में तेल डाला जाता है जोकी हल्का गर्म होता है। तेल का कहीं से रिसावना हो इसलिए बाहर की और एक पट्टी बांध दीजाती है। तेल को इस टोपी के अंदर 30 से लेकर50 मिनिट के लिए रखा जाता है। समय कानिर्धारण बीमारी की गंभीरता से किया जाता है।शिरोवस्ती पूर्ण होने के बाद गर्म पानी से स्नानकराया जाता है। अच्छे लाभ पाने के लिए इसउपचार का 7 दिन तक प्रयोग किया जाता है।इससे मानसिक रोग तो दूर होते ही है साथ हीइसके उपयोग से बुद्धि भी तेज होती है।
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3 फायर कपिंग: यह पद्धति आज सबसेतेज प्रचलित होने वाली चिकित्सापद्धतियों में से एक है। फायर कपिंग केफायदे इतने अधिक है की कई बॉलीवुड हस्तियाँइसका उपयोग अपनी खूबसूरती को बढ़ाने केलिए करती है। इस पद्धति में एक छोटे से रुई केफुहे में आग लगा कर उसे कुछ देर के लिए एककांच के कप में रखा जाता है। उसके बाद उसआग को बुझा दिया जाता है और उस गर्म हवा सेभरे कांच के कप को स्किन पर रखा जाता है।इससे त्वचा के सेल्स को आॅक्सीजन मिलती है।इस उपचार से आपकी स्किंग ग्लो होती है।
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4 पोटली स्वेदन: स्वास्थ्य के लिए लाभकारी पोटली स्वेदन एक बहुत ही प्राचीन पद्धति है। पोटलीस्वेदन पद्धति उपचार के द्वारा शरीर के वात सम्बन्धी समस्या के कारण उत्पन्न हुए गठिया रोग ,आॅस्टियोअर्थराइटिस, जैसे रोगों को दूर किया जा सकता है और इससे जोड़ो में होने वाले दर्द सेभी मुक्ति मिलती है। इस प्रक्रिया में एक कॉटन के कपडे में जड़ी बूटियों के कपडे से भर लें। इसके बादइसे आयुवेर्दीय तेल में गर्म कर इसे शरीर के उन स्थानों पर रखे जहा अक्सर दर्द रहता है इसके लिए इसेखासकर पीठ पर और घुटने पर रखा जाता है। यह प्रक्रिया बेहद लाभकारी है।
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5 कटी बस्ती: आज के समय हर दूसरे व्यक्ति को कमर दर्द सेसबंधित समस्या है और इसका सबसे बड़ा कारन है घंटो तक एकही जगह बैठे रहना, गलत पोस्चर में बैठना, शारीरिक श्रम नहींकरना। ऐसी स्थिति में एक प्राचीन पद्धति है जिसके बारे में बहुत ही कमलोगों को जानकारी है। कटी बस्ती में व्यक्ति को पेट के बल लिटा दियाजाता है इसके बाद उड़द के आटे को गूंदकर उसकी पीठि बना ली जाती हैऔर उससे कमर पर एक सर्कल बना लिया जाता है। इस सर्कल मेंआयुर्वेदीय औषधियों से युक्त तेल को हल्का गर्म करके डाला जाता है। यहतेल मांसपेशियों के तनाव को दूर कर उन्हें आराम प्रदान करता है। यह औषधीय तेल सूक्ष्म रूप से शरीर मेंजाकर मांसपेशियों की जकड़न को दूर करता है और मांसपेशियो की सूजन को दूर कर उन्हें आराम पहुंचाता है।
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6 अक्षि तर्पण: आँखों के स्वास्थ्य के लिए अक्षि तर्पण बहुत हीलाभदायक आयुर्वेदिक उपचार पद्धति है। इस पद्धति से उपचारसे आँखों की कमजोरी, आँख आना, लाल आँखे, रतौंधी,कम दिखाई देने जैसी समस्या दूर होती है। इस उपचार के लिए उड़ददाल के आटे की पीठि बना लें और इसे आँखों के चारों और इस तरहलगा ले। अब इसके अंदर औषधियों गुणों से युक्त घी या तेल को डालें।इसमें आपकी आँखे पूरी तरह डूब जाएँगी। इसके बाद इसमें कुछ-कुछमिनिट की अंतराल पर अपनी आँखे खोले और बंद करें। इसे 5 से 10मिनिट की अवधि के लिए रखें। यह आँखों के लिए बेहद लाभकारी है और इससे आपकी आँखों कीरोशनी भी तेज होती है।
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7 नस्य कर्म: आयुर्वेद में बताया गया है की नस्य कर्म विधि द्वारागर्दन से ऊपर से सबंधित रोगों को दूर किया जा सकता है। इसउपाय को हमेशा किसी विशेषज्ञ की देखरेख में करना चाहिए।नासिका को हमारे मस्तिष्क का प्रवेश द्वार माना जाता है। नस्य कर्मविधि द्वारा औषधीय गुणों से युक्त तेल और घी को बहुत ही सिमित मात्रामें नाक के द्वारा पहुंचाया जाता है। इसके द्वारा नाक में जमा कफ भीबाहर आता है। यह मस्तिष्क के विकारों को दूर करता है और स्मरणशक्ति को बढ़ाता है।