१२वीं के बाद क्या चुनें!
आजकल प्रतिष्ठित परंपरागत पाठ्यक्रमों में भी दाखिला लेना आसान नहीं रह गया है। शायद यही कारण है कि छात्र-छात्राओं के लिए बारहवीं का परिणाम खास मायने रखता है। यह तनाव निरंतर बना रहता है कि किस कोर्स में दाखिला लेना चाहिए? दाखिला कैसे मिलेगा? सरकारी संस्थान में नामांकन कराना बेहतर होगा या प्राइवेट संस्थान में? इन्हीं के बारे में विस्तार से बता रहे हैं करियर कंसल्टेंट…
छात्र-छात्राओं में कोर्स के चुनाव को लेकर उधेड़बुन बारहवीं कक्षा के परीक्षा-परिणाम आने तक लगातार चलती रहती है। दरअसल युवाओं का भावी करियर काफी हद तक बारहवीं कक्षा के परीक्षा-परिणामों पर निर्भर करता है। लेख में ऐसी सामान्य बातों या संकेतों पर ध्यान देने की सलाह दी जा रही है, जो आपके सामने हंै, पर जिन पर अमूमन ध्यान नहीं जाता, या जिन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। एट्टीट्यूड कोर्स का चुनाव करने में सबसे अहम आधार छात्र का अपना
एट्टीट्यूड या रुझान होना चाहिए। यदि उसका दिमाग तकनीकी कार्यकलापों में ज्यादा लगता है तो जाहिर है उसे टेकनीकल कोर्स के विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए। यदि उसकी खेलों में दिलचस्पी है तो बीएससी (फिजिकल एजुकेशन) उसके लिए भविष्य निर्माण की दृष्टि से अच्छा कोर्स कहा जा सकता है। साइंस पसंद नहीं है तो आर्ट्स में अवसर तलाशे जा सकते हैं। लेखन में रुचि है तो साहित्य या मीडिया के क्षेत्र में आगे बढऩे के मौके मिल सकते हैं।
बारहवीं के नतीजे: दिल्ली यूनिवर्सिटी सहित कई संस्थानों के अधिकतर कोर्स में बारहवीं के प्राप्तांक के आधार पर भी दाखिले दिए जाते हैं। ऐसे में इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि यह परिणाम आगे की काफी कुछ दिशा तय कर देता है। छात्र जिन विषयों में सबसे अच्छे अंक हासिल करता है वे एक संकेत हो सकते हैं कि वह किन कोर्स के लिए उपयुक्त है। मत भूलिए कि प्रत्येक विषय अपने-आप में करियर की अलग राह खोलता है। उदाहरण के लिए, आर्ट्स स्ट्रीम में गणित और अर्थशास्त्र में अच्छे अंक हैं तो बीए (ऑनर्स) के लिए अर्थशास्त्र के बेहतरीन कोर्स के बारे में विचार किया जा सकता है। इसी तरह से बायोलॉजी में प्रदर्शन
१२वीं के बाद क्या चुनें!
अच्छा रहा है तो एमबीबीएस, जूलॉजी, बॉटनी, बायोटेनोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, एग्रीकल्चर साइंस आदि विषयों से संबंधित कोर्स के विकल्पों के बारे में विचार किया जा सकता है। गणित से जुड़े कोर्स में गणित (ऑनर्स), स्टेटिस्टिस आदि में बीएससी किया जा सकता है। इंग्लिश /हिंदी में अपेक्षाकृत ज्यादा अंक होने पर बीए (ऑनर्स) इंग्लिश/हिंदी, पत्रकारिता, पब्लिक रिलेशंस आदि कोर्स की राहें खुल सकती हैं। शिक्षक की राय: आपके बच्चे को जिन शिक्षकों ने वर्षों तक पढ़ाया है, उनकी सलाह कोर्स चयन में सहायक हो सकती है। वे बता सकते हैं कि छात्र ने अपने पूरे स्कूली दौर में किन विषयों में किस स्तर की योग्यता या दिलचस्पी दिखाई। ऐसे में किसी पसंदीदा विषय में कम अंक होने के बावजूद उससे जुड़े कोर्स में छात्र को दाखिल कराने के बारे में सोचा जा सकता है। कोर्स का कुल खर्च: किसी महंगे कोर्स में दाखिला लेने से पहले यह समझ लेना चाहिए कि यह धनराशि कैसे जुटाएंगे, अन्यथा बीच में कोर्स छोडऩे की नौबत भी आ सकती है। ?
भावी लक्ष्य
छात्र ने अपने भावी करियर के बारे में या सोचा है, यह भी कम महत्वपूर्ण संकेत नहीं है, जिसके आधार पर कोर्स के बारे में निर्णय लेने में आसानी हो सकती है…
गेम्स/डांस/ड्रामा/ म्यूजिक, डांस-ड्रामा आदि में कई छात्र-छात्राएं काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं। हो सकता है कि यह उनका शौक हो। ऐसा हो तो नॉन एकेडेमिक कोर्स को भी करियर के विकल्प के तौर पर चुनने में बुराई नहीं है। यह न भूलें कि प्रदर्शनकारी कलाओं की आज के समय में काफी कद्र है। प्रतियोगी परीक्षा का लक्ष्य: यूपीएससी/पीसीएस, बैंकिंग और रेलवे सरीखी प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिये भविष्य संवारने की तमन्ना रखने वाले युवाओं को अच्छी यूनिवर्सिटी का चयन कर पारंपरिक कोर्स में दाखिला लेने के बारे में सोचना चाहिए। स्वरोजगार: भविष्य में जॉब के बदले अपना काम शुरू करने वाले युवाओं को बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन या बिजनेस मैनेजमेंट जैसे कोर्स का चयन करना लाभदायक हो सकता है। विदेश में पढ़ाई/जॉब: इसके लिए विदेशी भाषा पर आधारित कोर्स काफी उपयोगी हो सकते हैं। ऐसे कोर्स में एडमिशन पाना अपेक्षाकृत अधिक आसान भी होता है। दूसरी बात यह है कि इसमें पिछले एकेडेमिक रिकॉर्ड का भी कोई प्रभाव नहीं
प?ता और बिलकुल नए सिरे से शुरुआत होती है। पैतृक बिजनेस: जो युवा बाप-दादा के समय से चल रहे अपने पारिवारिक व्यवसाय में जाने की इच्छा रखते हैं, उन्हें बिजनेस से संबंधित स्नातक स्तर के कोर्स (बीबीए, बीबीएम आदि) के बारे में विचार करना चाहिए।
ऑनलाइन ये जांच करें
? जहां दाखिला लेने जा रहे हैं, वहां संचालित कोर्स एआईसीटीई या संबंधित नियामक निकाय से मान्यता प्राप्त है या नहीं? अगर मान्यता प्राप्त है तो उसकी अवधि कब तक है?
? संस्था और विभाग की वेबसाइट है कि नहीं? अगर नहीं है या उस पर पूरी जानकारी नहीं दी गई है तो वहां दाखिला लेने का जोखिम नहीं उठाएं।