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अपने पैशन और क्रिएटिविटी को कभी खत्म न होने दें — पूनम सचदेवा

हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ ऊट्ठे , वो फूल खिलके रहेंगे जो खिलने वाले हैं। मशहूर सहित्यकार साहिर लुधियानवी की ये पंक्तियाँ पूनम सचदेवा के व्यक्तित्व पर सटीक बैठती हैं, बात सामाजिक सरोकार की हो या फिर परिवारिक जिम्मेदारियों से लेकर फेमिली कारोबार की, पूनम सचदेवा जी ने हर पैमाने पर स्वयं को कामयाबी के शिखर पर पहुँचाया है। अमिताभ बच्चन के मशहूर रियल्टी शो कौन बनेगा करोड़पति में उनका शामिल होना उनके जज्बे को दर्शाता है। कई सामाजिक संस्थाओं के साथ सक्रिय पूनम जी से युवक पत्रिका ने एक इंटरव्यू के दौरान बातचीत की, पेश हैं उनसे हुई बातचीत के खास अंश…

सबसे पहले हम आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में जानना चाहेंगे, बचपन कैसा बीता, आपने एजुकेशन कहां से कंह्रश्वलीट की?
बचपन अच्छा बीता, स्कूलिंग क्वीन विटोरिया से हुई, बीएससी आगरा कॉलेज से कंह्रश्वलीट की। जब में ग्रेजुएशन कर रही थी उसी दौरान मेरी शादी हो गई और कम उम्र में ही मैं परिवार की
जिम्मेदारियों से जुड़ गई। कॉलेज के दिनों में ड्रामा और डिबेट्स में काफी भाग लिया करती थी। साइंस स्टूडेंट रही तो पेरेंट्स की चाहत थी कि मैं डॉक्टर बनूँ, लेकिन मुझे अभिनय करना खास पसंद था। कई बार मुंबई जाना रहता था तो मन में इच्छा होती थी कि मुझे कोई ब्रेक मिले लेकिन वक्त और जिम्मेदारियों के साथ विजन और मिशन बदलते चले गए।

शादी के बाद जिम्मेदारियों और अपनी खवाहिशों के बीच आपने किस प्रकार तालमेल बनाया ?
हां, निश्चित रूप से शादी के बाद बच्चे हुए उनकी परवरिश की, तो उस वक्त उनको पढ़ाना, उनको अच्छे संस्कार देना यही जिम्मेदारियों और खवाहिश थी, लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े हुए तो मैंने सामाजिक कार्यों के साथ-साथ अपने हसबैंड के प्रोफेशन में भागीदारी शुरू की। कुछ समय शू डिजाइनिंग का काम भी मैंने उनके साथ किया। हसबैंड भारत विकास परिषद के अध्यक्ष रहे उनके साथ भी मैं उनके कार्यक्रम में शामिल होने लगी। इस बीच में जब बच्चे बड़े हो गए और उनकी शादियां हो गई तो मुझे एक तरह से एक फ्रीडम मिल गई कि मैं सामाजिक कार्यों में कुछ अच्छा करने के लिए समय निकालूं।

आप कई संस्थाओं में सक्रियता के साथ काम कर रही हैं आपने इसकी शुरुआत कहां से की?
सबसे पहले साल 2015 में क्वीन इन द मेकिंग इवेंट से हमने मिसेज इंडिया रही शिवांगी मलेठिया के साथ शुरुआत की। उसके बाद आज तक निरंतर कई प्रकार के आयोजन में अपने क्लब के माध्यम से कर रही हूँ, जोकि मुख्यरूप से महिला सशक्तिकरण को लेकर केंद्रित रहे।

आमतौर पर पेरेंट्स जो नहीं कर पाते हैं वह उमीद वे अपने बच्चों से करते हैं क्या कोई ऐसी एकस्पेक्टेशन जो आपकी आपके बच्चों से रही?
नहीं, ऐसा कभी नहीं रहा। मेरा अपना मानना है कि हर व्यक्ति अपने आप में इंडिविजुअल है हमें अपनी इच्छा उन पर नहीं थोपनी चाहिए।

लाइफ का स्क्रीनह्रश्वले बदलने का अगर मौका मिले तो ऐसा या है जो आप फिर से जीना चाहेंगी?
अमिताभ जी के साथ केबीसी एक बार फिर से खेलना चाहूंगी।

कोई ऐसी आदत जिस पर आप का बस नहीं चलता?
हां, कभी-कभी थोड़ी सी इमोशनल हो जाती हूं, यही एक ऐसा वक्त होता है जब मेरा खुद पर काबू नहीं रहता।

आप जीवन का या लक्ष्य मानती हैं?
महिला सशक्तिकरण को लेकर में निरंतर कार्य कर रही हूं यही मेरा लक्ष्य है कि मैं ज्यादा से ज्यादा महिलाओं के काम आकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में सहयोगी बनूँ, मैं हमेशा एक ही बात सोचती हूं कि जो मेरा पैशन है उसको मैं खुलकर जिऊँ और कभी फ्री ना बैठूं।

अपने मिशन में आप आज स्वयं को कितना कामयाब महसूस करती हैं?
हां, जब हम कुछ अच्छा करते है तो कई बार प्राउड फील होता है। लिखना और पढऩा मुझे काफी पसंद है मैं हमेशा कुछ न कुछ लिखती रहती हूँ। अक्सर लिखने-पढऩे के दौरान जब कुछ विचार निकल कर आते हैं और वह व्यवहारिक रूप से साकार होते हैं तो मन काफी प्रसन्न होता है।

आप किसको अपना इंस्पिरेशन मानती हैं जो कि हमेशा आपको कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं?
कई लोग हैं ऐसे, जिनसे मुझे इंस्पिरेशन मिलती है केबीसी के दौरान अमिताभ बच्चन जी, उनसे बातचीत करने का और मिलने का मौका मिला। सेट पर जिस तरह गर्मजोशी के साथ उनका आना होता है वह निश्चित रूप से काबिले तारीफ है 70 साल से भी अधिक की उम्र में उनका यह जोश हमें काफी प्रभावित करता है।

आप लाइफ का सक्सेस मंत्रा क्या मानती हैं?
मैं यही मानती हूं कि यदि आपका पैशन जिंदा है, आपकी क्रिएटिविटी चल रही है तो आप ससेज हैं। जहां आप रुक गए और थक गए, मतलब आपकी ससेस का ग्राफ नीचे आ गया।

जो महिलाएं विषम परिस्थितयों से हार कर निराश हो चुकी है उन्हें आगे बढऩे के लिए आप क्या सन्देश देना चाहेंगी?
महिलाओं को सबसे पहले तो अपने अंदर छिपी ताकत को पहचानना चाहिए, दूसरी बात आपके अंदर जो नकरात्मक भाव है उन्हें दरकिनार कर अपने अंदर छिपी प्रतिभा को बाहर निकालें और उसी प्रतिभा के जरिये आगे बढ़ें। अगर आप एक कदम भी आगे बढ़ाते हैं तो आगे प्रकृति आपके लिए अनेक रास्ते खोल देगी। जिंदगी के आखिरी समय में भी हार नहीं माननी चाहिए बल्कि पूरी सिद्दत के साथ डटकर उसका मुकाबला करना चाहिए।

जिंदगी का कोई खास लहा जिसे आप हमारे साथ शेयर करना चाहे ?
जिंदगी में कई लहे आये लेकिन सबसे बड़ा ख़ुशी देने वाला लहा माँ बनने का था जिसे मैं कभी नहीं भुला सकती और मेरा मानना है कि हर लहा आपको ख़ुशी दे सकता है बस उसमे खुशियां तलाशनी चाहिए।

युवाओं के आइडियल बदल रहे है पहले जहां वे विवेकानंद जैसी शकशियतों को अपना आदर्श मानते थे वहीं आज फि़ल्मी जगत के सितारे उनके आइडियल नजर आ रहे है इस पर आप क्या कहना चाहेंगी?
जाहिर सी बात है जिसे वो देखेंगे उसे ही अपना आदर्श मानेंगे। वक्त के साथ सोच एक व्यवहारिक प्रक्रिया है।

आज के यूथ को आप क्या संदेश देना चाहेंगी ?
आज के युवाओं से मैं यही कहूंगी कि वे अपने जीवन का एक लक्ष्य जरूर बनाएं और वही काम करें जो उनको अच्छा लगता है अगर आपका पैसन आपका प्रोफेशन बनेगा तब आप काम को एन्जॉय करते हुए अविश्वसनीय सफलता प्राप्त करेंगे ।

अगर आपको सिस्टम में एक बड़े पद पर कार्य करते हुए विशेष अधिकार मिलें, तो आपकी सबसे पहली प्राथमिकता क्या होगी?
मेरी पहली प्राथमकिता महिलाओं की सुरक्षा के लिए रहेगी। साथ ही मेरी टीम पुरुषों को भी महिलाओं के मायने समझाएगी। असर महिलाओं के पहनावे को लेकर तंज कसे जाते हैं, मेरा मानना ये है कि महिलाओं को पहनावे में बदलाव नहीं बल्कि पुरुषों को अपने नजरिये में बदलाव की जरूरत है।

जीवन में कोई सीख जो आपको अपने पेरेंट्स से मिली?
संस्कार, जिनकी बदौलत मुझे सामाजिक, पारिवारिक और व्यवहारिक जीवन में ख़ास कामयाबी मिली।

सोशल मीडिया में युवाओं की बढ़ती भागीदारी पर आपका क्या कहना है?
मेरा मानना है कि सोशल मीडिया की एक लिमिट होनी चाहिए आजकल युवा अपने किसी खास पल की फोटो सोशल मीडिया पर डालकर यादें संजो कर रखने की बात करते है लेकिन मेरा मानना है कि सोशल मीडिया पर फोटो डालने की बजाय आप उस पल को एन्जॉय करे। आजकल मोबाइल की वजह से जीवन एकांकी हो गया है। चार लोग एक साथ आपस में बैठकर बात करने की बजाय मोबाइल में ज्यादा व्यस्त दिखते हैं।