LatestTrending

सफलता एक दिन में नहीं मिलती मगर ठान लो तो एक दिन जरूर मिलती है : गोपाल गुप्ता

अपनी कार्यकुशल और नेतृत्व क्षमता से सफलता का पर्याय बन चुके जिला मथुरा में होली गेट के एक व्यावसायिक परिवार में जन्मे गोपाल गुप्ता आज किसी परिचय के मोहताज नहीं। विश्व के कई देशों में भारत के अग्रणी निर्यातक के रूप में अपनी फुटवियर कंपनी गुप्ता एच.सी. ओवरसीज (इ.) प्रा. लिमिटेड को स्थापित कर चुके गोपाल गुप्ता की कामयाबी का सफर आज लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गया है। साल 1987 में आगरा में अपनी फैक्ट्री से महज 50 जोड़ी फुटवियर के मामूली उत्पादन से जूता उद्योग में शुरूआत करने वाले गोपाल गुप्ता आज प्रति दिन 9500 जोड़ी की क्षमता के साथ उत्पादन कर रहे हैं। खास बात यह भी है कि अपने गुणवत्तापूर्ण उत्पादन से दुनियां के फुटवियर उद्योग में खास जगह बना चुके गोपाल गुप्ता को केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा अग्रणी निर्यातक के रूप में कई बार पुरस्कृत भी किया जा चुका है। हालांकि गोपाल गुप्ता जी को उद्यमिता उनके पिता श्री एच.सी. गुप्ता और उनके दादाजी से विरासत में मिली, लेकिन उस विरासत का संवर्धन जिस प्रकार उन्होंने किया वह आज एक मिशाल है। एक इंटरव्यू के दौरान गुप्ता एच.सी. ओवरसीज (इ.) प्रा. लिमिटेड के प्रबंध निदेशक गोपाल गुप्ता जी से युवक पत्रिका के कॉन्सेप्ट एडिटर अजय शर्मा ने बातचीत की, इस दौरान बातचीत में उनके व्यक्तित्व से जुड़े कई अनकहे पहलू कुछ इस तरह निकलकर समाने आये…

?जीवन में शिक्षा और संस्कार की पूंजी अर्जित करने के सफर से जुड़े कुछ खास अनुभव जो आप साझा करना चाहें?

मथुरा के जीआईसी इंटर कॉलेज से साल 1973 में इंटरमीडिएट करने के बाद 1975 में केआर डिग्री कॉलेज से बीएससी की। संयुक्त परिवार में जन्म लेने के कारण आरंभ से ही दादाजी का बहुमूल्य सानिध्य मिला। माता-पिता और दादाजी से ही मैंने संस्कारित, व्यावसायिक एवं धार्मिक संस्कारों की पूंजी अर्जित की।

?शिक्षा और फिर कारोबार में पदार्पण, कैसे शुरू हुआ यह सफर?

परिवार में सबसे बड़ा पुत्र होने के नाते मेरे दायित्व छोटे भाइयों के मुकाबले अधिक थे। व्यवसाय में मेरी शुरू से ही रुचि थी, उसे किस प्रकार विस्तार देना है, यह अक्सर दिमाग में चलता रहता था। पिताजी ने मुझे सदैव प्रोत्साहित किया और यही वजह रही कि बचपन से ही अपने काम को पूर्ण निष्ठा, लगन, ऊर्जा, एवं व्यवस्थित रूप से करना आदत बन गया।

?व्यावसायिक क्षेत्र में पहली शुरूआत कैसे और कब हुई ?

स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही मेरी व्यवसाय में सहभागिता शुरू हो गई। बैंक के काम हों या फिर माल की खरीददारी, मेरी सभी में रुचि थी। शुरूआती दिनों में मैंने पिताजी के साथ कई व्यवसाय किये। जिनमें गोदरेज फर्नीचर, किर्लोस्कर जेनरेटर एवं ट्रैक्टर की एजेंसी का संचालन भी शामिल था। परंतु उस दौरान मन में कुछ बड़ा करने की ललक बरकरार थी। आगरा में बिना प्रदूषण के सीमित कार्य थे, जूता उद्योग फल-फूल रहा था, इसी अवसर को ध्यान में रखते हुए आखिरकार 1987 में जूता उद्योग मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में पदार्पण किया।

?वर्तमान में आप किन-किन देशों में निर्यात कर रहे हैं?

आज हम विश्व के हर मुख्य देश में निर्यात कर रहे हैं, जिसमें खास तौर से इंग्लैंड, यूरोप, अमेरिका, जापान, आॅस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं।

आप जीवन में प्राप्त सफलताओं का श्रेय किसे देना चाहेंगे?

हमारी सफलताओं का श्रेय हमारे संयुक्त परिवार को जाता है। जब एक व्यक्ति की क्षमता के तुलनात्मक परिवार के सभी सदस्य एक साथ काम करते हैं तो उसमें काफी फर्क होता है। मैं, मेरे दो छोटे भाई और मेरे दोनों बेटे, आज हम साथ मिलकर इस व्यवसाय को चला रहे हैं। खुशी है कि अब तो छोटे भाई के बेटे भी साथ आ गए हैं। जिससे हम आधुनिकता के इस दौर में नई क्षमताओं के साथ अपने कारोबार को विस्तार दे रहे हैं।

?फुटवियर एक्सपोर्ट की दिशा में कदम कब बढ़ाया?

आरंभ में हम केवल जॉब वर्क तक सीमित थे। कुछ वर्ष बीतने के बाद यह इंडस्ट्री कैसे कार्य करती है, कैसे आर्डर आते हैं इत्यादि समझने का मौका मिला, फिर निर्यात की बारीकियों को समझा। लगन रंग लाई और साल 1993 में पहला एक्सपोर्ट आॅर्डर मिला। जिसका पेमेंट आने के बाद संतुष्टि हुई और फिर ईश्वर की कृपा एवं मेहनत, लगन के दम पर शू एक्सपोर्टर के रूप में बड़ी पहचान मिलती चली गई।

?आपकी फुटवियर के अलावा अन्य किसी क्षेत्र कोई भविष्य की योजना है?

अभी तो पूरी ऊर्जा और ध्यान जूता उद्योग पर ही केंद्रित है, हां अन्य अच्छे अवसर की तलाश भी जारी है।

?एक आदर्श कारोबारी के लिए आपकी क्या सीख है?

मैं पहले स्वयं एक आदर्श कारोबारी बनने का प्रयास कर रहा हूं। …और सच बताऊं तो अभी भी सीख रहा हूं, मैं भला दूसरों को क्या सिखाऊंगा। हाँ, एक बात जरुर कहना चाहूंगा कि कोई भी काम करें पूरी लगन और ऊर्जा के साथ करें सफलता जरूर मिलेगी।

?एक उद्यमी के रूप में आपके जीवन का क्या लक्ष्य है ?

एक उद्यमी के रूप में मेरा पहला लक्ष्य यही है कि मेरी फैक्ट्री में कार्य करने वाला हर कर्मचारी अपनी मेहनत और योग्यतानुसार सही वेतन पाए, उसका मेहनताना उसे सही समय पर मिले। साथ ही समाज के प्रति जो भी मेरे दायित्व हैं उन्हें मैं अच्छे से निभा पाऊं।

?आपकी नजर में सफलता का सूत्र क्या है?

देखिए, मेरा मानना है कि कर्म सर्वोपरि होना चाहिए। हार-जीत, सफलता-असफलता तो जीवन का हिस्सा है। हमें अपनी गलतियों से सीखना चाहिए। सच्चे मन, कर्त्तव्यनिष्ठा से किये गए कर्म का फल भगवान जरूर देते हैं।

?आप अपना आदर्श किसे मानते हैं?

मेरे पिताजी मेरे आदर्श हैं। उन्हीं के बताए पदचिन्हों पर चलना मेरे जीवन में कामयाबी का आधार है। उन्होंने ही हमें ग्राहकों की संतुष्टि को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखना सिखाया।

?आप औद्योगिक जीवन में अपनी कामयाबी का सीक्रेट क्या मानते हैं?

मैंने अपने कारोबार में 34 वर्ष की मेहनत और प्रयासों से अनुभव किया है कि हमेशा अपने काम पर विश्वास रखकर छोटे-छोटे कदम आगे बढ़ाने से, लेकिन सपने बड़े देखने से जीवन और व्यवसाय दोनों का संतुलित विकास होता है। आज इसी सोच का परिणाम है कि विश्व भर में गुप्ता एच.सी. ओवरसीज (इ.) प्रा. लिमिटेड का नाम लेडीज लेदर फुटवियर में बहुत रसूख के साथ लिया जाता है। ?