लुप्त हो गया सहित्य का एक सितारा
स्मृति—सर्वज्ञ शेखर गुप्त 1958 -2021
अजय शर्मा
हिंदी साहित्य को निरंतर सम्रद्ध कर रहे श्री सर्वज्ञ शेखर गुप्त अचानक इस संसार से विदा हो गए। 19 अप्रैल 2021 को उनका 63 वर्ष की आयु में आकस्मिक निधन हो गया। 5 सितम्बर 1958 को आगरा के प्रसिद्ध स्वाधीनता संग्राम सेनानी श्री रोशनलाल गुप्त ‘करुणेश’ के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे सर्वज्ञ शेखर ने 14 वर्ष की आयु से ही लेख, कविताएं लिखना व पत्रकारिता प्रारम्भ कर दी थी। बाद में 19 अगस्त 1978 को केनरा बैंक ज्वाइन किया और 40 वर्षों की सेवा के उपरांत 30 सितंबर 2018 को मंडल प्रबंधक के पद पर पहुँच कर सेवानिवृत्त हुए। बैंकिंग सेवा के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक, आईबीए, केनरा बैंक, नराकास, श्रेयस केनरा ज्योति आदि राष्ट्रीय स्तर की बैंकिंग व वित्तीय पत्रिकाओं में आपने सैकड़ों लेख लिखे। सर्वज्ञ जी की दूरदर्शिता देखिये कि आजकल भारत सरकार ने बैंकों को मर्ज करके जो 6 या 7 बैंक बनाने की योजना बनाई, इसकी घोषणा इन्होंने लगभग 20 वर्ष पूर्व मुम्बई से प्रकाशित एक बैंकिंग पत्रिका में लेख के द्वारा कर दी थी। बैंक कार्यरत रहते हुए भी उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन किया। बैंक में राजभाषा हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए बहुत संघर्ष किया।
बैंकिंग सेवा में प्रवेश करने से पूर्व इन्होंने पुराने व लोकप्रिय समाचारपत्र स्वराज्य टाइम्स से पत्रकारिता शुरू की। पत्रकारिता के भीष्म पितामह आदरणीय श्री डोरीलाल अग्रवाल, श्री आनन्द शर्मा, थॉमस स्मिथ, जैसे गुरुजनों का स्नेह प्राप्त हुआ। इस दौरान इनको तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा जी, मोरारजी देसाई, अटल जी जैसी महान हस्तियों और अनेक देशी विदेशी राजनेताओं का इंटरव्यू करने व आपातकाल को कवर करने का अवसर मिला। इनके लिखे एडिटोरियल व व्यवस्था पर प्रहार करते लेख आज भी पुराने लोग याद करते हैं।
सर्वज्ञ जी को राष्ट्रीय बैंक स्तर की निबंध प्रतियोगिता में प्रथम आने पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर द्वारा पुरस्कृत किया गया था। सेवानिवृत्ति के बाद साहित्यिक गतिविधियों, गोष्ठियों में आप मुख्य अतिथि, वक्ता, श्रोता, समीक्षक या निर्णायक मंडल के सदस्य के रूप में सहभागिता करने लगे थे। अनेक साहित्यिक संस्थाओं में पदाधिकारी, दो मासिक पत्रिकाओं का नियमित संपादन, एक मुद्रित व एक डिजिटल समाचार पत्र के लिए नियमित स्तम्भ लेखन भी कर रहे थे।
स्वतंत्र लेखक के रूप में सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व अन्य सामयिक विषयों पर लगभग 200 लेखों, कविताओं व लघुकथाओं के माध्यम से आपने जनजागृति करने का अद्भुत कार्य किया है उन्होंने युवक पत्रिका के लिए भी लेखन किया था। राष्ट्रभाषा के उन्नयन, पत्रकारिता, साहित्य, व समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के अनेक सम्मानों से विभूषित किया जा चुका था। वे इन्क्रेडिबिल इंडिया फाउंडेशन से भी जुड़े थे। उन्होंने एक पुस्तक मेरे 51 अभिमत लिखी, जो प्रकाशित हो गई उसके विमोचन की तैयारी थी।
…खो दिया एक रत्न स्व. सर्वज्ञ शेखर गुप्त के निधन से साहित्य, संस्कृति जगत में शोक का माहौल है। उनके निधन पर उत्तराखंड की महामहिम राज्यपाल श्रीमती बेबीरानी मौर्य, साहित्यकार पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया, साहित्यकार पद्मश्री उषा यादव, महापौर श्री नवीन जैन, न्यूजर्सी से साहित्यकार डॉ. शशि गुप्ता, इंग्लैंड से कथक गुरु काजल शर्मा, मॉरीशस से डॉ. सुरीति रघुनन्दन, मुंबई से अभिनेता रमेश गोयल सहित अनेक साहित्यकार, पत्रकार और समाजसेवियों आदि ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की थी।