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कोरोना वायरस हो या चुनाव — माइक्रो मैनेजमेंट से ही हासिल होगी जीत

देश में लगातार कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। हर रोज नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। नए संक्रमण मामलों के साथ-साथ मौत के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं। कई राज्यों में प्रतिबंधों को लागू किया जा रहा है। कई जगह संपूर्ण लॉकडाउन की भी बात कही जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मुख्यमंत्रियों के साथ समीक्षा बैठक की। प्रधानमंत्री ने टेस्टिंग, ट्रेसिंग पर जोर दिया। साथ ही साथ वैक्सीनेशन को लेकर भी खूब राजनीति हो रही है। कांग्रेस शासित राज्यों का आरोप है कि केंद्र से उन्हें पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन नहीं मिल रही है तो वही केंद्र की ओर से यह कहा जा रहा इन राज्यों में खूब लापरवाही हो रही है। इन सब के पीछे महाराष्ट्र सबसे ज्यादा कोरोना से प्रभावित है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में भी कोरोनावायरस के मामले खूब बढ़ रहे हैं।

बृजेश शर्मा

चुनावी राज्यों में भी कोरोनावायरस के मामले बढ़ने लगे हैं। असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में लगातार संक्रमितों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है। लेकिन पश्चिम बंगाल में प्रचार अपने चरम पर है। नेताओं की रैलियों में जमकर भीड़ जुट रही है और कोरोना वायरस प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई जा रही है। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश और झारखंड में होने वाले उपचुनाव के प्रचार के लिए भी नेता रैली कर रहे हैं तो वहां भी भीड़ देखी जा रही है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर चुनावी फायदे के लिए राजनेता भीड़ एकत्रित करने में क्यों तुले हैं? क्या भीड़ से कोरोनावायरस नहीं फैलेगा। जिन राज्यों में चुनाव खत्म हो गए वहां अब टेस्टिंग ज्यादा होने लगी है और ऐसे में मामले बढ़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल को लेकर भी प्रभासाक्षी के संपादक ने कहा कि जिस तरह की कि वहां चुनावी परिस्थितियां है। भाजपा अपने माइक्रोमैनेजमेंट के दम पर ममता बनर्जी के खेल को बिगाड़ सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक में मुख्यमंत्रियों से कहा कि आप माइक्रो लेवल पर चीजों को करिए। प्रधानमंत्री का सीधा जोर पूरे एरिया को ब्लॉक करने की बजाय माइक्रोमैनेजमेंट पर रहा। उधर भाजपा भी पश्चिम बंगाल में जमकर माइक्रोमैनेजमेंट कर रही है जिसका नतीजा आने वाले दिनों में हमें देखने को मिल सकता है।

बहार में नहीं खुलेंगे

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में संपन्न कोविड-19 से संबंधित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण में वृद्धि के मद्देनजर शैक्षणिक संस्थानों को 18 अप्रैल तक तथा दुकानों एवं प्रतिष्ठानों को 30 अप्रैल तक शाम सात बजे के बाद बंद रखने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कोरोना संक्रमण का फैलाव राज्य में बढ़ने लगा है, संक्रमितों की संख्या भी बढ़ रही है और इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सचेत और सक्रिय रहे। उन्होंने कहा कि कोरोना जांच की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ टीकाकरण में और तेजी लायें। उन्होंने कहा कि कोविड निर्दिष्ट अस्पतालों में सारी तैयारी रखें और आवश्यकतानुसार अनुमंडल स्तर पर पृथक-वास केंद्र की व्यवस्था तैयार रखें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ कोविड-19 को लेकर सभी राज्य के मुख्यमंत्री के साथ बैठक हुई थी जिसमें कई बातों की चर्चा हुई थी। प्रधानमंत्री ने 11 अप्रैल से 14 अप्रैल तक विशेष टीकाकरण अभियान चलाने की बात कही है।

रेल सेवाओं को रोकने या ट्रेनें कम करने की कोई योजना नहीं है : रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष

रेलवे ने कहा कि उसकी रेल सेवाओं को रोकने या ट्रेनें कम करने की कोई योजना नहीं है और साथ ही उसने यात्रियों को जरूरत पड़ने पर अधिक ट्रेनें चलाए जाने का आश्वासन दिया। रेलवे की ओर से यह बयान ऐसे समय में जारी किया गया है, जब कई स्थानों से प्रवासी मजदूरों के घर लौटने की खबरें आ रहीं हैं। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने यात्रियों को आश्वासन दिया कि ट्रेनों की कोई कमी नहीं होगी और रेलवे ट्रेनों की मांग बढ़ते ही अतिरिक्त ट्रेनों की व्यवस्था करेगा। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, रेल सेवाओं को रोकने या ट्रेनें कम करने की कोई योजना नहीं है। जितनी जरूरत होगी, हम उतनी ट्रेनें चलाएंगे। परेशानी की कोई बात नहीं है। गर्मियों में यात्रियों की संख्या सामान्य है और भीड़ कम करने के लिए हमने पहले ही अतिरिक्त ट्रेनों की घोषणा कर दी है। कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर ट्रेनों में यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। मीडिया से बात करते हुए कई लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के डर के कारण वे अपने गृह निवास लौट रहे हैं।

पिछले सात दिनों में 149 जिलों में कोविड-19 का कोई नया मामला सामने नहीं आया: हर्षवर्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि एक सप्ताह में 149 जिलों में कोविड-19 का कोई नया मामला सामने नहीं आया है, जबकि आठ जिलों में एक पखवाड़े में कोई नया मामला सामने नहीं आया है। हालांकि देश में कोविड-19 के रिकार्ड 3.8 लाख नये मामले सामने आये हैं। हर्षवर्धन ने एक वीडियो लिंक के माध्यम से कोविड-19 पर उच्च स्तरीय मंत्रिसमूह (जीओएम) की 24वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि देश में अभी तक 9.43 करोड़ से अधिक टीके की खुराक दी गई हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को तीन करोड़ से अधिक टीके की खुराक दी गई हैं। हर्षवर्धन के हवाले से जारी एक बयान में कहा गया है, भारत ने वैक्सीन मैत्री के जरिये वैश्विक समुदाय का भी समर्थन किया है, जिसके तहत कोविड-19 टीके की 6.45 करोड़ खुराक 85 देशों को भेजी गई हैं। उन्होंने कहा, वहीं वाणिज्यिक अनुबंध के तहत 25 देशों को 3.58 करोड़ खुराक की आपूर्ति की गई है, 44 देशों को 1.04 करोड़ खुराक अनुदान के तौर पर दी गई हैं जबकि 39 देशों को 1.82 करोड़ खुराक की आपूर्ति कोवैक्स तहत की गई है।

चुनाव आयोग ने प्रचार के दौरान स्टार प्रचारकों, नेताओं के मास्क नहीं पहनने का जिक्र किया

कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी के बीच चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार के दौरान स्टार प्रचारकों और नेताओं के मास्क नहीं पहनने की घटनाओं का उल्लेख किया और पिछले साल कोविड-19 के संबंध में आयोग द्वारा जारी निर्देशों का पूरी गंभीरता से पालन करने को कहा है। सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के नेताओं को भेजे एक पत्र में चुनाव आयोग ने कहा है, हालिया हμते में देखा गया है कि कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि आयोग के ध्यान में आया है कि चुनावी बैठकों, प्रचार के दौरान आयोग के निर्देशों की अवहेलना करते हुए सामाजिक दूरी बनाए रखने, मास्क पहनने के नियमों का पालन नहीं हुआ। पत्र में स्टार प्रचारकों और नेताओं या उम्मीदवारों द्वारा कोविड-19 के नियमों का पालन नहीं किए जाने का उल्लेख किया गया है। यहां तक कि प्रचार के दौरान या मंच पर भी मास्क पहनने के नियमों का पालन नहीं हुआ। पत्र में कहा गया, ऐसा कर राजनीतिक दलों के नेताओं और उम्मीदवारों के साथ ऐसी चुनावी सभा में बड़ी संख्या में हिस्सा लेने वाले लोगों के भी संक्रमित होने का खतरा है।

कोविड-19 के डर से भी प्रदर्शन नहीं रुक सकता, आंदोलनकारी किसानों ने कहा

दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी के बावजूद किसान नेताओं ने कहा कि कोरोना वायरस का डर भी उन्हें केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने से नहीं रोक सकता। किसान संगठन पिछले चार महीने से अधिक समय से बारिश, भीषण सर्दी और अब गर्मी में भी अपना आंदोलन चला रहे हैं। सर्दी के मौसम में प्रदर्शनकारी किसानों को गर्म कपड़ों की आपूर्ति की गयी, बारिश में जमीrन से ऊंचाई पर उनके रहने का बंदोबस्त किया गया और अब गर्मी के लिए उन्होंने प्रदर्शन स्थलों पर छायादार ढांचे बनाना तथा एसी, कूलर और पंखों का बंदोबस्त शुरू कर दिया है। किसानों ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटना भी उनके लिए मुश्किल नहीं होगा। वे प्रदर्शन स्थलों पर बुनियादी सावधानियों के साथ इसके लिए भी तैयार हैं। आॅल इंडिया किसान सभा के उपाध्यक्ष (पंजाब) लखबीर सिंह ने कहा, हम सिंघू बॉर्डर पर मंच से मास्क पहनने और हाथ बार-बार धोने की आवश्यकता के बारे में लगातार घोषणा कर रहे हैं। हम प्रदर्शनकारियों को टीका लगवाने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। प्रदर्शन स्थलों पर अनेक स्वास्थ्य शिविर भी चल रहे हैं, ऐसे में बुखार या सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण सामने आने पर प्रदर्शनकारियों को तत्काल चिकित्सा सहायता मिल सकती है।

कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों पर प्रधानमंत्री की चिंता

देश में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए फिर से युद्ध स्तर पर काम करना आवश्यक है। उन्होंने राज्यों से निषिद्ध क्षेत्रों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने और जांच में तेजी लाने को कहा। मुख्यमंत्रियों के साथ देश में कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने पिछले साल बगैर टीके के कोविड-19 से लड़ाई जीती थी, इसलिए आज भयभीत होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, हमने जिस तरह से लड़ाई लड़ी थी, उसी तरह से फिर से लड़ाई जीत सकते हैं। मोदी ने कहा, हम जितनी ज्यादा जांच करेंगे उतना सफल होंगे। जांच, संपर्क का पता लगाना, उपचार करना और कोरोना से बचाव संबंधी उपायों का कड़ाई से पालन करना और बेहतर कोविड-19 प्रबंधन पर हमें बल देना है। प्रधानमंत्री ने कोरोना संक्रमण में वृद्धि के लिए लोगों की लापरवाही और प्रशासनिक अमले की सुस्ती को एक बड़ी वजह बताया तथा राज्यों से इसपर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा कि आज की समीक्षा में कुछ बातें स्पष्ट हैं जिनपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मोदी ने कहा, पिछले साल कोरोना की जो सर्वोच्च रμतार थी उसे हम इस बार पार कर चुके हैं। इस बार मामलों की वृद्धि दर पहले से भी ज्यादा तेज है। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, मध्य प्रदेश और गुजरात समेत कई राज्य पहली लहर की पीक को भी पार कर चुके हैं। कुछ और राज्य भी इस ओर बढ़ रहे हैं। हम सबके लिए ये चिंता का विषय है। ये एक गंभीर चिंता का विषय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार लोग पहले की अपेक्षा बहुत अधिक लापरवाह हो गए हैं और अधिकतर राज्यों में प्रशासन भी सुस्त नजर आ रहा है। उन्होंने कहा, ऐसे में कोरोना मामलों की इस अचानक बढ़ोतरी ने मुश्किलें पैदा की हैं। इसके प्रसार को रोकने के लिए फिर से युद्ध स्तर पर काम करना आवश्यक है। मोदी ने कहा कि इन तमाम चुनौतियों के बावजूद देश के पास पहले की अपेक्षा बेहतर अनुभव और बेहतर संसाधन उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, जनभागीदारी के साथ-साथ हमारे परिश्रमी चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों ने स्थिति को संभालने में बहुत मदद की है और आज भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, पहले हमारे पास न तो मास्क थे और न ही पीपीई किट उपलब्ध थी और न ही संसाधन थे, इसलिए कोरोना से उस समय बचने का एकमात्र साधन लॉकडाउन बचा था और वह रणनीति काम आई। उन्होंने कहा, लॉकडाउन के समय का उपयोग करते हुए हमने अपनी क्षमता बढ़ाई और संसाधन विकसित किए। आज हमारे पास संसाधन हैं तो हमारा बल छोटे निषिद्ध क्षेत्रों पर होना चाहिए। हमें इसके परिणाम मिलेंगे। यह मेहनत रंग लाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार बहुत सारे मामले ऐसे हैं जो बिना लक्षण वाले हैं, इसलिए प्रशासन को अतिसक्रियता दिखाकर जांच में तेजी लानी होगी। उन्होंने कहा, हम जितना ज्यादा चर्चा टीके की करते हैं, उससे ज्यादा फोकस जांच पर करना है। हम जांच को हल्के में ना लें। हर लाल में हमें इसे बढ़ाना होगा और पॉजिटिव रेट पांच प्रतिशत के नीचे लाकर दिखाना होगा। मोदी ने कहा कि जिन राज्यों में मामले बढ़ रहे हैं, उन्हें इसके लिए हो रही आलोचनाओं से घबराना नहीं चाहिए। उन्होंने इन राज्यों से भी जांच पर बल देने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा, रास्ता तो जांच का ही है। मामले बढ़ने को लेकर किसी राज्य के प्रदर्शन का आंकलन उचित नहीं है। प्रधानमंत्री ने राज्यों से 70 प्रतिशत आरटी-पीसीआर जांच करने का आग्रह किया और तेजी से हर संपर्क का पता लगाने पर जोर दिया। उन्होंने कोरोना वायरस से होने वाली मृत्यु दर में भी कमी लाने के लिए राज्यों से यथोचित उपाय करने को कहा। मोदी ने कहा, हमें अपने प्रयासों में सुस्ती किसी भी प्रकार से नहीं आने देनी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने टीकाकरण का जो मानदंड तय किया है, वह दुनिया के समृद्ध देशों से अलग नहीं है। उन्होंने टीकों की बर्बादी रोकने के लिए भी राज्यों को उचित कदम उठाने को कहा। मोदी ने 45 वर्ष से ऊपर के लोगों के शत-प्रतिशत टीकाकरण पर जोर दिया और इसके मद्देनजर 11 अप्रैल को ज्योतिबा फुले की जयंती से लेकर 14 अप्रैल को बाबा साहब अंबेडकर की जयंती तक देश भर में टीका उत्सव मनाने का सुझाव दिया। उन्होंने युवाओं से कोविड-19 से बचाव संबंधी उपायों को लेकर अत्यधिक सक्रियता दिखाने का आह्वान किया और 45 साल से ऊपर के लोगों से टीककरण कार्यक्रम में भगीदार बनने का आग्रह किया। मोदी ने कहा, हम जब चरम पर जाकर नीचे आ गए तो हम दोबारा भी आ सकते हैं। दवाई भी और कड़ाई भी के मंत्र का पालन करते रहना होगा। टीकाकरण के बाद मास्क और अन्य उपायों का पालन अनिवार्य है। ?

कांग्रेस शासित राज्यों में टीकों की नहीं बल्कि प्रतिबद्धता की कमी: रविशंकर प्रसाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख देश में टीकों की कमी का आरोप लगाए जाने के चंद घंटों बाद ही केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उन पर पलटवार करते हुए दावा किया कि कांग्रेस शासित राज्यों में टीकों की नहीं बल्कि प्रतिबद्धता की कमी है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर टीकों के निर्यात पर तत्काल रोक लगाने और हर जरूरतमंद के लिए टीकाकरण की मांग की थी। प्रसाद ने ट्वीट कर कहा, राहुल गांधी को यह पता होना चाहिए कि कांग्रेस शासित राज्यों में टीकों की कमी नहीं है बल्कि स्वास्थ्य देखभाल की बुनियादी प्रतिबद्धता में कमी है। उन्होंने कहा, उन्हें अपनी पार्टी की सरकारों को पत्र लिखकर वसूली रोकने को कहना चाहिए और उनके पास पड़े लाखों टीकों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि देश में टीकों की कोई कमी नहीं लेकिन राहुल गांधी की ओर ध्यान देने वाले लोगों की कमी है। उन्होंने पूछा, राहुल गांधी ने अभी तक टीका क्यों नहीं लगवाया? क्या वह इसे लगवाना नहीं चाहते या फिर अपने किसी गुप्त विदेशी दौरों पर उन्होंने टीका लगवा लिया और उसके बारे में वह खुलासा नहीं करना चाहते? राहुल गांधी ने आठ अप्रैल को लिखे इस पत्र में यह आरोप भी लगाया कि केंद्र सरकार की ओर से सही तरीके से क्रियान्वयन न किए जाने और उसमें लापरवाही के कारण टीकाकरण का प्रयास कमजोर पड़ता दिख रहा है।