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“लक्षण ज्योतिष अनुसार, जाने अपने ग्रहों के प्रभाव”

लक्ष्मण ज्योतिष, ज्योतिष शास्त्र का वह अंग है जिसके द्वारा हम यह जान सकते हैं कि हमारे कौन से ग्रह पीड़ित हैं । लक्षण व संकेत के आधार पर उचित ज्योतिष की सलाह लेकर कार्य करने से हमारे सभी विपत्तियां दूर हो सकती हैं। ग्रहों का दूषित होना या पीड़ित होना हमारी खुशियों में बाधा डाल सकता है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए हमारे सभी ग्रहों का शोधन होना अति आवश्यक है। नवग्रहों का संतुलन एक उचित वास्तु व्यवस्था कहलाती है । जो कि व्यक्ति को संपूर्ण रूप में विजय दिलाने में सहायक है । चाहे वह पारिवारिक क्षेत्र हो या मानसिक या शारीरिक, सब ग्रहों का खेल है। किसी भी चीज की अधिकता या कमी हमारे जीवन को दुखमय बना सकती है। और अगर जीवन सुख से जीना है तो अधिकता से मुक्ति व कमी की पूर्ति होना आवश्यक है।

सर्वप्रथम बात करते हैं सूर्य ग्रह की। सूर्य ग्रह व्यक्ति को यश, मान प्रतिष्ठा , राज्य, संपत्ति, आत्मविश्वास व शक्ति प्रदान करता है । सूर्य आत्मा का कारक है । इसका तत्व अग्नि होता है। सूर्य की कमी व्यक्ति में हीन भावना के रूप में दिखती है । शारीरिक रूप से जिस व्यक्ति को प्राय: मस्तिष्क पीड़ा, नेत्र रोग, हड्डी की कमजोरी, दांत दर्द, थकान और कमजोरी सताती है, वे लोग दूषित सूर्य ग्रह से पीड़ित होते हैं । ऐसे जातकों को उचित ज्योतिषी की कुशल निगरानी में सूर्य संबंधित वस्तुओं का दान व ग्रहण करना चाहिए। आमतौर पर गेहूं , गुड़, मुलेठी, इलायची आदि वस्तुओं के द्वारा सूर्य ग्रह को शुद्ध किया जाता है। सूर्य संबंधित मंत्रों के उच्चारण से भी उचित लाभ होता है। चंद्रमा मन का कारक होता है। जो व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में सहायक होता है । चंद्रमा का तत्व जल होता है । बच्चों में याददाश्त मे कमजोरी , व्यक्ति मे अवसाद व चिंता, धन का नाश होना, यह संकेत करता है कि कहीं ना कहीं वह व्यक्ति चंद्रमा के अशुद्ध या दूषित होने से प्रभावित है । शारीरिक रूप से जिन लोगों को सर्दी जुकाम, गुप्त रोग , गठिया , कमजोर पाचन शक्ति, पकनी देह रहती है वे दूषित चंद्रमा ग्रह से पीड़ित होते हैं । उचित ज्योतिषी की निगरानी में चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान व ग्रहण करना उचित फल देता है। दूध , चावल, सफेद चंदन आदि पदार्थों के प्रयोग व दान से चंद्रमा की शुद्धि होती है । साथ ही चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का जाप करने से भी उचित लाभ मिलता है। गुरु ग्रह व्यक्ति को ज्ञानवान बनाता है । गुरु ग्रह का तत्व अग्नि होता है। गुरु ग्रह व्यक्ति को विवेकी बनाता है । व्यक्ति को समाज में सम्मान, धन, आकर्षण व अध्यात्म की ओर ले जाता है । परिवार में अकारण झगड़ा होना , धन का अभाव , मानसिक अशांति , अपमान होना , अहंकार की वृद्धि होना, दूषित गुरु ग्रह को दशार्ते हैं । शारीरिक रूप से कान में पीड़ा , लीवर , उदर पीड़ा, पुरानी खांसी , अपज आदि यह संकेत करता है कि व्यक्ति में कहीं ना कहीं गुरु ग्रह अशुद्ध हो चुके हैं। उचित ज्योतिषी के सहयोग से गुरु ग्रह से संबंधित वस्तुओ का दान व ग्रहण करना उचित फल देता है। केला, पपीता, सीताफल, हल्दी, चने की दाल आदि गुरु ग्रह से संबंधित वस्तु मानी जाती हैं । साथ ही गुरु मंत्र का नियमित जाप करने से उचित लाभ होता है। राहु एक छाया ग्रह माना जाता है । इस ग्रह के दुष्प्रभाव से क्रोध की उत्पत्ति होती है । अकारण लड़ाई झगड़ा , तलाक , अवैध संबंध, दुर्घटना, अग्निकांड होना यह संकेत करता है कि व्यक्ति राहु ग्रह के दुष्प्रभाव से प्रभावित है । शारीरिक रूप से कब्ज, वायु विकार , उदर रोग, कुष्ठ रोग, मिर्गी गर्भपात आदि होना राहु ग्रह की ओर संकेत करता है। उचित ज्योतिष की निगरानी में राहु संबंधित वस्तुओं का दान करने से लाभ की प्राप्ति होती है । अनार दाना , नीले फूल, हींग , जीरा आदि राहु संबंधित वस्तुओं का उचित अनुपात में दान करने से उचित लाभ होता है । साथ ही राहु ग्रह के बीज मंत्रों के नियमित श्रवण से ही उचित लाभ होता है। बुध ग्रह बुद्धि का कारक होता है। यह ग्रह व्यक्ति की वाणी को नियमित करता है। बुध ग्रह की अशुद्धि व्यक्ति में हकलाहट , लालच, नशे की प्रवृत्ति , मानसिक रोग व चिड़चिड़ापन लाती है । शारीरिक रूप से दूषित बुध व्यक्ति को चर्म रोग, कुष्ठ रोग, दांतों की समस्या , वाणी दोष , नासिका संबंधित रोग देती है । बुध संबंधित वस्तुओं का दान व ग्रहण कुशल ज्योतिषी के अनुसार करने से उचित लाभ मिलता है । हरी मूंग , आंवला, लसोड़ा , अमरूद आदि बुध संबंधित वस्तुएं होती हैं । इनका नियमित दान व ग्रहण करने से उचित लाभ होता है । साथ ही बुध ग्रह के बीज मंत्र का जाप करने से भी लाभ की प्राप्ति होती है। इस लेख में हमने पांच ग्रहों के लक्षण की चर्चा करी। अगले लेख में हम अन्न पांच ग्रहों के बारे में बात करेंगे । शुक्र ,केतु , शनि व मंगल। उचित दान व ग्रहण करने से ग्रहों की शुद्धि होती है । किंतु आधुनिक परिवेश में व्यक्ति के पास ना तो समय है ना साधन । इस कारण पूरा लाभ मिलना असंभव हो जाता है । आधुनिक वास्तु ज्योतिष विज्ञान के अनुसार निर्मित ग्रह शुद्धि हेतु 3ऊ यंत्रों के प्रयोग से उचित लाभ मिलना अब संभव है । साथ ही प्राकृतिक पेड़ पौधों को भी घर या आॅफिस की उचित दिशा में लगाने से चमत्कारिक लाभ मिलता है । समय के साथ-साथ ज्योतिष उपायों में भी खासा बदलाव आ चुके हैं। समय के साथ साथ चलना ही समय की मांग है। क्योंकि समय के चक्र के अनुसार कार्य करने से ही हम विजयी बनते हैं। ?