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दुनिया भर में बढ़ रहे हैं पर्यावरण संरक्षण के प्रयास

पर्यावरण की बर्बादी ने अब हमारी जीवनशैली को ही अपनी चपेट में ले लिया है। कई देशों के समझदार नागरिक और सरकारें अपने-अपने स्तर पर इससे निपटने का प्रयास भी कर रहे हैं, लेकिन भारत समेत तीसरी दुनिया के अनेक देश इस आसन्न संकट को भी भगवान की लील मानकर चैन से बैठे हैं। करोड़ोंं रुपये बहाने के बावजूद गंगा की मौजूदा बदहाली और बड़े बांधों के जरिए उसे मारने की सरकारी जिद इसी लापरवाही की एक बानगी है। ऐसे में दुनियाभर में दूसरे लोग क्या कर रहे हैं? प्रस्तुत है इसी विषय पर प्रकाश डालता डॉ. ओपी जोशी का यह लेख… पिछले साल दुनियाभर में पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रयास हुए हैं। इन प्रयासों में एक है, करीब बारह हजार साल पुराना जर्मनी का हम्बख जंगल, जहां से अधिक नस्लों के पक्षी पाये जाते हैं। इस जंगल में पाये जाने वाले कोयले को निकालकर बिजली बनाने हेतु सरकार ने एक कम्पनी आरडब्ल्यूई को 1978 में अधिकार दे दिया था, जिसने पिछले 40 वर्षों में कोयला निकालने के लिए करीब 80 प्रतिशत जंगल काट डाले हैं। शेष बचे जंगल को बचाने की खातिर वहां के ग्रामीणों ने कम्पनी के विरूद्ध वर्ष 2012 से संघर्ष प्रारंभ किया था, जिसने 2018 तक विशाल रूप ले लिया। जंगल बचाने के हेतु डेढ़ से दो सौ लोग पिछले कुछ वर्षों से पेड़ों पर ही घर बनाकर रह रहे हैं। 9 सितंबर 2018 को जब पुलिस ने इस लोगों को पेड़ों से हटाने का प्रयास किया तो इसका भारी विरोध हुआ। हजारों लोग वहां पहुंचे और प्रतिकार में पेड़ों पर अपना आशियाना बनाया। भारी विरोध देखकर न्यायालय ने भी पेड़ों को काटकर कोयला निकलने पर स्थायी रोक लगाने के आदेश जारी किये। लंदन में जर्मन दूतावास के सामने ग्रीन-पीस संस्था के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर कम्पनी का अनुबंध निरस्त करने की मांग की। कम्बोडिया के रोवेग क्षेत्र के बेग वन्यजीव- अभयारण्य में लकड़ी के तस्करों ने पिछले कुछ वर्षों में 33 प्रतिशत जंगल काटकर समाप्त कर दिये हैं। सरकार जब इन तस्कारों के विरूद्ध कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर पायी तो वहां के गांववासी जंगल को बचाने हेतु आगे आये। गांववासियों ने एक सेना बनाकर जंगल में कई स्थानों पर चौकियां कायम की और वहां रहकर निगरानी का कार्य किया। घूम-फिर कर निगरानी करने हेतु एक पेट्रोलिंग – टीम भी बनाई गई। गांव के लोगों के इन प्रयासों से डरकर तस्करों ने हाथ पीछे खींच लिए। इस पूरे कार्य में कहीं कोई संघर्ष नहीं हुआ। मंगोलिया में इसी तरह घास के मैदान बचाए गए। पिछले कुछ वर्षों में घास के मैदानों के आसपास रहने वाले चरवाहे तथा घुमंतू जाति के लोग रोजगार के लिए शहरों में जाकर बस गये थे। पिछले वर्ष सरकार ने इन लोगों को वापस बुलाकर घास के मैदानों में पुन: बसाने का कार्यक्रम तैयार किया। इन लोगों को टेंट, जानवर और दूसरी सुविधाएं प्रदान की गई ताकि वे पहले की तरह जीवन-यापन कर सकें। इन लोगों की वापसी से घास मैदान सुधरने लगे एवं पर्यटकों की संख्या भी बढ़ने लगी। सरकार आगामी वर्षों में 20 लाख लोगों को वापस लाने की योजना पर काम कर रही है। जंगलों को बढ़ाने हेतु पौधारोपण का एक सघन प्रयास कनाडा में किया गया है जहां चार करोड़ हैक्टेयर में फैले जंगल समाप्त हो गये थे। यहां देश के 6000 लोगों ने पिछले वर्ष 50 करोड़ पौधे रोपे जिनमें युवाओं की भागीदारी ज्यादा थी। पौधरोपण के लिए अनुकूल मौसम में जंगलों में शिविर लगाये जाते हैं। सरकार एक पौधा लगाने पर 10 सेंट देती है। एक सक्रिय युवा एक दिन में पांच से छह हजार पौधे रोप देता है। कई युवाओं ने पौधारोपण से प्राप्त राशि से अपनी पढ़ाई का ऋण तक चुका दिया। कनाडा सरकार ने 90 प्रतिशत जंगलों की देखभाल की जिम्मेदारी भी जनता को सौंप रखी है, जिसे जनता भी ईमानदारी से निभाती है। दुबई के फैजल-मोहम्मद-अल-शिमारो ने कोई सघन पौधरोपण नहीं किया परंतु नार्वे के एक वैज्ञानिक की विधि से रेगिस्तान में टमाटर एवं भिन्डी की फसल तैयार की। इस विधि में 50 प्रतिशत पानी कम लगता है। समुद्री जल साफ करने एवं जल प्रदूषण रोकने के दो प्रयास भी उल्लेखनीय है। न्यूयार्क में समुद्र के किनारे रोजाना एक दर्जन से ज्यादा संस्थाओं के सदस्य डेढ़-दो फीट गहरे पानी में जाकर सीप छोड़ते हैं। इसका कारण यह है कि सीप केवल जैविक रत्न मोती ही नहीं बनाती, अपितु पानी को साफ एवं कीटाणु मुक्त भी रखती है। अभी तक इस तरह करीब तीन करोड़ सीप डाली जा चुकी हैं एवं वर्ष 2035 तक एक अरब सीप डालने का लक्ष्य रखा गया है। न्यूयार्क निवासी सीप डालकर पानी साफ कर रहे हैं तो दूसरी ओर नार्वे की एक जहाज कम्पनी हर्टिगुटन मरी हुई मछलियों से जहाज चलाने हेतु प्रयासरत है। मृत मछलियों से पैदा मीथेन गैस का उपयोग इस कार्य में किया जायेगा। जहाजों में जीवाश्म र्इंधन के प्रयोग से प्रदूषण होता है एवं जलीय जीवों पर विपरीत प्रभाव। कम्पनी ने कहा है कि वर्ष 2019 में मृत मछलियों से चलने वाला पहला जहाज तैयार हो जायेगा। यूरोप के प्रदूषित शहरों में 13वां स्थान पाने वाले पेरिस में 2018 में कारों की बिक्री लगभग 10 प्रतिशत घट गई है और वर्ष 2024 तक डीजल वाहनों को यातायात से हटाने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है। नम्बरों की आॅड-ईवन व्यवस्था के साथ हर माह का पहला रविवार कारों से मुक्त किया गया है। पैदल एवं साइकिल को बढ़ावा देने के लिए कई क्षेत्रों में प्रात: 10 से शाम 6 बजे तक कारों का प्रवेश रोका गया है। जर्मनी में सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करने पर कोई टिकिट नहीं लिया जाता। इससे लोग निजी वाहन छोड़कर ट्रेनों, बसों में ज्यादा यात्रा कर रहे हैं ताकि वायु प्रदूषण कम होने के साथ-साथ यातायात भी सुधर जाए। इटली के बोलोग्ना शहर में साईकिल चलाने वालों को मुμत में सिनेमा के टिकट, आइसक्रीम तथा बीयर दी जा रही है। यह सारा कार्य एक एप की मदद से अभी फिलहाल अप्रैल से सितंबर तक किया गया, जिसका लाभ हजारों लोगों ने लिया। बिल गेट्स फाउंडेशन की 40 करोड़ की सहायता से कनाड़ा की कार्बन इंजीनियरिंग संस्था ने नौ वर्षों में 70 करोड़ रूपये से वेंकुवर शहर के पास एक ऐसा संयंत्र तैयार किया है जो वायुमंडल से कार्बनडाई-आॅक्साइड सोखकर र्इंधन में बदल देता है। एक टन कार्बनडाई-आॅक्साइड से र्इंधन बनाने का खर्च महज 6500 रूपये होता है। प्लास्टिक प्रदूषण कम या समाप्त करने के विश्व पर्यावरण दिवस पर किये गये वादये को मानकर कई देशों ने इस ओर कदम बढ़ाये हैं। एक बार उपयोग के बाद फेंकी जाने वाली प्लास्टिक की वस्तुओं की रोकथाम पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। यूरोपीय संघ के 28 देशों में एक बार उपयोग में आने वाली प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग में आने वाली प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की संसद के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई हैं। ताईवान की होटलों में भी इसी प्रकार के नियम लागू किये गय हैं। ब्रिटेन में डिस्पोजेबल कप पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया है। वहां की संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि प्रत्येक कप पर 0.5 पेस (22 रूपये) का कर लगाया जाए एवं इससे प्राप्त राशि ज्यादा से ज्यादा पुनर्चक्रण पर खर्च की जाए। नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम में एक सुपर मार्केट (इकोप्लाजा) ने अपनी एक शाखा प्लास्टिक रहित बनाई है। यहां 700 प्रकार के खाद्य पदार्थों का बगैर प्लास्टिक के पैकिंग किया जाता है। इस माकेर्ट के देश में 74 स्टोर्स हैं जहां यह प्रयोग अपनाया जाएगा। चीन ने प्रदूषण की रोकथाम हेतु ना सिर्फ 19 हजार करोड़ की योजना बनाई है अपितु पर्यावरण के मानकों का उलंघन करने पर 528 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है। प्रदूषण के प्रति लापरवाही के अपराध में लगाया है। प्रदूषण के प्रति लापरवाही के अपराधमें चार हजार अधिकारियों को जेल की सजा दी गई है। जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए नवम्बर में लंदन में हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनों से लंदन के पांच बड़े पुलों पर यातायात अवरूद्ध हुआ एवं सेंट्रल लंदन में भी घंटों जाम की स्थिति रही। कुल मिलाकर वर्ष 2018 में विदेशों में पर्यावरण संरक्षण के लिए किये गये सराहनीय, अनुकरणीय रहे। ?

मंगोलिया में इसी तरह घास के मैदान बचाए गए। पिछले कुछ वर्षों में घास के मैदानों के आसपास रहने वाले चरवाहे तथा घुमंतू जाति के लोग रोजगार के लिए शहरों में जाकर बस गये थे। पिछले वर्ष सरकार ने इन लोगों को वापस बुलाकर घास के मैदानों में पुन: बसाने का कार्यक्रम तैयार किया।