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‘समाज में एक बड़ा बदलाव लाने के लिए महिलाओं को आत्मनिर्भर होना चाहिए’

प्रमिला बिसोई जो 70 वर्ष की हैं और उड़ीसा के अस्का क्षेत्र से बीजू जनता दल (बी.ज.द) की टिकट पर सांसद चुनी गई हैं।

उनकी सम्बलपुरी साड़ी का पल्लू जो भली प्रकार उनके सर को ढके हुए है, उनके माथे का सिंदूर और नाक में पहनी, छोटी-सी लौंग 70 साल की इस महिला को देश के अन्य सांसदों से बिलकुल अलग करती है। गत माह उन्होंने गंजम जिले के अस्का क्षेत्र से बीजू जनता दल की टिकट पर लगभग 2 लाख से अधिक मतों से जीतकर और चैरामारिया गाँव को प्रसिद्धि दिलाकर वास्तव में इतिहास रचा है। उसके गांव के लोग कहते हैं कि ‘परी मां जो उनको दिया गया लोकप्रिय नाम है, शत-प्रतिशत उडिय़ा माँ लगती हैं। श्रीमती प्रमिला की कहानी का प्रारंभ वर्ष 2001 में हुआ जब मिशन शक्ति कार्यक्रम के द्वारा ‘स्वयं-सहायता समूह का निर्माण कर ग्रामीण महिलाओं की सहायता प्रारंभ हुई और जिसमें अब तक लगभग 70 लाख महिलाएं लाभ उठा चुकी हैं अत: जब उनको मार्च 2019 में श्री नवीन पटनायक ने बीजू जनता दल का प्रत्याशी घोषित किया तो कहा था कि इसके द्वारा हम कार्यक्रम की लाखों महिलाओं को नमन कर रहे हैं। ध्यान देने योग्य तथ्य यह भी है कि श्री नवीन पटनायक ने अपना राजनीतिक- जीवन भी अस्का से ही प्रारंभ किया था जहां वह प्रथमत: एक उपचुनाव जीतकर विधायक बने थे।

प्रथम हवाई यात्रा —– जब उन्हें सांसद के लिए प्रत्याशी बनाया गया तो राजनीतिक क्षेत्र में बहुत हलचल मची थी। हुआ यह कि जब उन्हें बीजू जनता दल के मुख़यालय से दूरभाष पर बुलावा मिला कि वह भुवनेश्वर पहुंचकर अस्का की सीट से चुनाव लडऩे के लिए टिकट प्राप्त कर लें, तब वह अपने गांव की प्राथमिक पाठशाला के बच्चों के लिए दोपहर का भोजन तैयार कर रही थीं। इस प्रकार वह पहली बार हेलीकोह्रश्वटर में बैठ कर और हवाई यात्रा कर भुवनेश्वर पहुंची। यह आश्चर्य की बात नहीं है कयोंकि विरोधी अभी भी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वह इतने मतों से कैसे जीत गयीं कयोंकि उनके ऊपर ऐसे ओछे कटाक्ष किए जा रहे थे कि ‘वह पढ़ी-लिखी नहीं हैं और अभी भी उनके पास एक स्मार्टफोन तक नहीं है। अपने विरोधियों के लिए उन्होंने मात्र इतना कहा था। ‘वह चाहे कुछ भी कह सकते हैं लेकिन मैं तो मां हूँ इस लिए किसी के लिए बुरा नहीं सोच सकती। फिर भी इतना विश्वास है कि मैं अच्छे से अच्छा काम करने की कोशिश करूँगी और यह भी कहा था कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता जीतूँ या हारूँ। लेकिन श्री पटनायक ने जो उत्साह प्रदान किया है उससे मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ।

बचपन और परिवार ——- उनका बचपन लाखों ग्रामीण महिलाओं की तरह ही था जिन्होंने गरीबी को निकट से झेला है। उनका विवाहमात्र 5 वर्ष की उम्र में हो गया था और वह कक्षा 3 तक ही पढ़ी हैं उनके पति सिंचाई विभाग में एक छोटे से पद पर कार्य करते थे। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। बड़ा बेटा चाय की दुकान चलाता है जबकि छोटा दुपहिया वाहनों की मरमत का कार्य करता है। बेटियों की शादी हो चुकी है। उनका परिवार एक टीन की छत वाले मकान में रहता है और आगे भी रहता रहेगा। उनका कहना है कि हमारी कोई बड़ी चाहत नहीं है और मैं अपने परिवार की जगह अपने पूरे चुनाव क्षेत्र पर ध्यान दूंगी। उनका प्रारंभिक संघर्ष महिलाओं के लिए स्वच्छ जल, सफाई और स्वास्थ्य (विशेषत: प्रसव के समय से प्रारंभ होकर बाद तक)। बाद में वह एक समिति की नेता बन गईं और अपने गांव को खुले में शौच से मुक्त बनाया साथ ही उन्होंने अस्का कीपकाड़ी पहाडिय़ों में मोरों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अत: ओडिषा सरकार ने उन्हें प्रकृति मित्र और प्रकृति बंधु जैसे पुरस्कार प्रदान किए। पिछले 50 सालों से वह गांव की महिलाओं की प्रसव के समय और उसके बाद के दिनों में स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान दे रही हैं इसीलिए उनका नाम परी मां रखा गया है। वह गांव की समस्याओं से भली-भांति परिचित हैं। अत: जब उनसे कहा गया कि वह न तो हिन्दी जानती हैं और न ही अंग्रेजी तो संसद में कैसे बोलेंगी तो उन्होंने कहा था कि मैं उडिय़ा में बोलूँगी जो मेरी मातृ भाषा है। वास्तव में वह उडिय़ा साहित्य को सतत् पढ़ती हैं और इसकी गरिमामयी वक्ता भी हैं। वह महिलाओं के सशक्तीकरण के संदर्भ में गीत लिखती हैं और गाती भी हैं।

भविष्य की योजनाए ——- सांसद बनने के बाद उनका पहला उद्देश्य है कि चक्रवात तितली से प्रभावित लोगों के जीवन में पुन: खुशहाली ला सकें और दूसरा लक्ष्य है कि अस्का को बहरामपुर एवं न्यायगढ़ को रेल से जोड़ दिया जाए। साथ ही ऐसी नीति अपनायी जाय कि उनके क्षेत्र में बार-बार आने वाली बाढ़ से राहत मिल सके।

प्रो गणेश शंकर पालीवाल