हिंदी भाषा नहीं संस्कार, कोरोना संकट में नमस्ते बना ग्लोबल
हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। दुनियाभर में कोरोना वायरस संकट के बीच सोशल डिस्टेंसिंग और दो गज की दूरी बेहद जरूरी को संक्रमण से बचाव का अचूक उपाय माना गया। दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्षों ने नमस्ते शब्द से एक-दूसरे का अभिवादन भी किया। बड़े नेताओं की एक-दूसरे को नमस्ते करते कई तसवीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई। यह नमस्ते शब्द कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ हिंदी के बढ़ते दबदबे का उदाहरण भर है। विश्व हिंदी दिवस पर आपको हम हिंदी भाषा की कई खासियत के बारे में बताएंगे। हिंदी दिवस के लिए दो खास तारीखें हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है। हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। जबकि, विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है। हिंदी दिवस या विश्व हिंदी दिवस हमारी भाषा को सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। हिंदी ने एक बड़ा फासला तय किया है और आज इंटरनेशनल लेवल पर हिंदी का मान-सम्मान किया जा रहा है। हिंदी महज भाषा नहीं संस्कार है।
अपनी ब्रैंड हिंदी के बारे में जानिए
? सबसे पहले हिंदी भाषा को कविता में इस्तेमाल करने वाले प्रख्यात कवि अमीर खुसरो थे।
? अंग्रेजी में 26 अक्षर की तुलना हिंदी में 52 वर्ण होते हैं। इसमें उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण और लिखने के आधार पर 52 वर्ण होते हैं।
? हिंदी टाइप राइटर (रेमिंग्टन कीबोर्ड) बाजार में 1930 में ही आ चुका था।
? हिंदी भाषा में एक भाव को व्यक्त करने के लिए कई शब्द होते हैं।
? हिंदी डिक्शनरी में 2.5 लाख से ज्यादा शब्द शामिल हैं।
? हिंदी की पांच उपभाषा और करीब 16 बोलियां हैं।
? भारत में करीब 77 प्रतिशत लोग हिंदी भाषा में बात करते हैं। यह पूर्व को पश्चिम और उत्तर से दक्षिण को जोड़ती है।
? बिहार ने 1881 में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था।
? हिंदी के शब्द हरि के कई मतलब हैं। (सूर्य, विष्णु, सिंह, इंद्र, चांद, तोता, घोड़ा, किरण, पवन आदि)
? हिंदी में शब्दों को उच्चारण के आधार पर लिखा जाता है. ऐसा अंग्रेजी में नहीं है। दुनियाभर में हिंदी का बढ़ता दबदबा
? आॅक्सफोर्ड डिक्शनरी में हिंदी भाषा के 900 शब्द शामिल किए जा चुके हैं।
? वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक 2050 तक हिंदी दुनिया की सबसे ताकतवर और पसंदीदा भाषा में शामिल होगी।
? अंग्रेजी के हैलो से ज्यादा प्रचलित शब्द नमस्ते है।
? भारत के 93 प्रतिशत यूथ्स यूट्यूब पर हिंदी भाषा के कंटेंट देखते हैं।
? भारतीय युवाओं के स्मार्टफोन में एवरेज 32 एप में से हिंदी के एप भी शामिल होते हैं।
? भारत में करीब 80 प्रतिशत यूजर्स स्मार्टफोन पर हिंदी को रोमन में लिखकर बात करते हैं।
? दुनिया की 176 यूनिवर्सिटीज में हिंदी पढ़ाई जाती है। इसमें अकेले अमेरिका के 45 यूनिवर्सिटी शामिल हैं।
? 2018 की एक सर्वे के मुताबिक हिंदी ने इंटरनेट की दुनिया में भारतीय यूजर्स ने अंग्रेजी को पीछे छोड़ दिया था। भारत में तेजी से आगे बढ़ रहीं स्टार्टअप कंपनियां अब विदेशों का भी रुख करें प्रह्लाद सबनानी भारत के लिए यह दशक भारतीय स्टार्ट-अप कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों एमएनसी) में परिवर्तित करने का है। भारत में पिछले कैलेंडर वर्ष 2020 में 11 स्टार्ट-अप कम्पनियां, यूनीकॉर्न कम्पनियों में परिवर्तित हुई हैं। यूनिकॉर्न कम्पनी उस स्टार्टअप कम्पनी को कहा जाता है जिसका बाजार मूल्यांकन 100 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक का हो गया हो। भारत में इन कम्पनियों में निवेश तेज ऱμतार से बढ़ा है। ये स्टार्ट-अप कम्पनियां अभी तक भारत के बाजार पर अधिक ध्यान देकर चल रही हैं परंतु इन्हें अब भारत के बाहर भी पैर फैलाने चाहिए और अपने आप को बहुराष्ट्रीय कम्पनी में परिवर्तित करना चाहिए। भारतीय कम्पनियां विदेशी बाजारों में अपना स्थान बनायें, इससे भारतीय ब्राण्ड विकसित होगा इसलिए इन कम्पनियों के लिए अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का रखना अब बहुत जरूरी हो गया है। भारत में स्टार्ट-अप कम्पनियां अब केवल भारतीय बाजार के लिए नहीं बल्कि वैश्विक वैल्यू चैन को भी ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए। अभी हाल ही के समय में भारतीय कम्पनियां विदेशों में भी कई कम्पनियों को खरीद रही हैं, विशेष रूप से दवा एवं सूचना प्रौदयोगिकी के क्षेत्र में। केंद्र सरकार द्वारा बनायी गयी सरकारी नीतियों के चलते ही स्टार्ट-अप कम्पनियों को भारत में अपना व्यवसाय प्रारम्भ करने में आसानी हो रही है। ईज आॅफ डूइंग बिजनेस के विभिन्न मदों में हुए सुधार के चलते भी स्टार्ट-अप कम्पनियों की बहुत मदद हो रही है एवं इसके कारण विदेशी निवेश के साथ-साथ अब भारतीय कम्पनियां भी इन स्टार्ट-अप में निवेश करने लगी हैं। आज भारत, स्टार्ट-अप की दृष्टि से, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। इस क्षेत्र में अब विदेशी निवेश भी तेजी से बढ़ रहा है। इससे अन्य देशों का भारतीय बाजार पर विश्वास झलकता है। वर्ष 2020 में तो कोरोना वायरस की महामारी के चलते भी भारत में 1200 सौदों के माध्यम से स्टार्ट- अप कम्पनियों में 1014 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ है। हालांकि यह निवेश वर्ष 2019 में हुए 1450 करोड़ अमेरिकी डॉलर से कम है परंतु सौदों की संख्या में वर्ष 2020 के दौरान 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। भारत आज 130 करोड़ से अधिक की जनसंख्या एवं तेज गति से आगे बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था के सहारे काफी अधिक संख्या में स्टार्ट-अप कम्पनियों को आकर्षित कर रहा है। 1 मार्च 2020 को भारत में 28,979 स्टार्ट अप में 3.37 लाख लोग कार्यरत थे। भारत की 50 प्रतिशत आबादी 27 वर्ष के नीचे है अत: भारत एक युवा देश है जिसका पूरा पूरा फायदा भारत को नए स्टार्ट-अप के रूप में मिल रहा है। अब इन नए नए क्षेत्रों में प्रारम्भ हो रहे स्टार्ट अप के चलते भारत विश्व में होने वाली नई औद्योगिक क्रांति में अपनी विशेष भूमिका निभा सकता है। न केवल विदेशी निवेश बढ़ रहा है बल्कि नवोन्मेष भी हो रहा है। मेक इन इंडिया भी स्टार्ट अप के विकास में महती भूमिका निभा रहा है। भारत में तेजी से आगे बढ़ रहे स्टार्ट-अप में शामिल हैं, μिलपकार्ट (वर्ष 2007 में स्थापित, 25000 से अधिक रोजगार के अवसर एवं वर्ष 2019 में 43,615 करोड़ रुपए की आय), पेटीएम (वर्ष 2010 में स्थापित, 9000 से अधिक रोजगार के अवसर एवं वर्ष 2019 में 3,579 करोड़ रुपए की आय), ओयो (वर्ष 2013 में स्थापित), ओला (वर्ष 2010 में स्थापित) पॉलिसी बाजार (वर्ष 2008 में स्थापित), स्विगी (वर्ष 2014 में स्थापित), जोमेटो (वर्ष 2008 में स्थापित) एवं रिविगो (वर्ष 2014 में स्थापित), आदि। भारत में वर्ष 2020 के दौरान स्टार्ट-अप के क्षेत्र में हुए कुल निवेश का 90 प्रतिशत हिस्सा बैंगलोर, दिल्ली एवं मुम्बई में स्थापित किए गए स्टार्ट-अप कम्पनियों में हुआ है। जबकि आज आवश्यकता इस बात की है कि देश में टायर-2 एवं टायर-3 शहरों में भी स्टार्ट-अप कम्पनियां प्रारम्भ की जायें क्योंकि देश में टैलेंट की कोई कमी नहीं है परंतु इन छोटे-छोटे शहरों में बस रहे टैलेंट पर भी ध्यान देने की जरूरत है। वर्ष 2020 के दौरान स्टार्ट-अप कम्पनियों में सबसे अधिक निवेश ई-कामर्स क्षेत्र के स्टार्ट-अप कम्पनियों में हुआ है। द्वितीय स्थान पर वित्तीय तकनीक से सम्बंधित स्टार्ट-अप कम्पनियां एवंतृतीय स्थान पर एड तकनीक से सम्बंधित स्टार्ट-अप कम्पनियां रही हैं। आज जबकि आवश्यकता इस बात की है कि कृषि क्षेत्र, टूरिजम, लॉजिस्टिक, ट्रांसपोर्ट, ट्रैवल, शिक्षा आदि क्षेत्रों में अधिक से अधिक स्टार्ट- अप प्रारम्भ होने चाहिए क्योंकि इन क्षेत्रों में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं। यूनिकॉर्न कम्पनियों के व्यवसाय करने की सारी व्यवस्था पर हमारे देश में अभी भी ध्यान देने की बहुत जरूरत है। यूनिकॉर्न कम्पनियों की ओर यदि देखा जाये तो पता चलता है कि ये निजी निवेश अथवा विदेशी निवेश के दम पर ही आगे बढ़ रहे हैं कोई भारतीय बैंक अथवा देशी निवेश इनकी सहायता में बहुत कम ही आगे आ पा रहे हैं। इस तरह की कमियों को दुरुस्त करने की आज आवश्यकता है। करों की दर भी तुलनात्मक रूप से भारत में अधिक है इसलिए ये कम्पनियां बनती तो भारत में हैं लेकिन अपने आप को रजिस्टर विदेशों में, विशेष रूप से सिंगापुर में,कराती हैं। हमारे देश में न्याय व्यवस्था में भी सुधार करने की बहुत जरूरत है। एक बार कोई केस कोर्ट में जाता है तो इसके निपटान में बहुत समय लगता है, यह बात विशेष रूप से विदेशी निवेशकों को बहुत अखरती है। अत: देश में न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाए जाने की भी अत्यधिक आवश्यकता है।