आपकी हर प्रॉब्लम का सॉल्युशन है एजुकेशन
यूथ आईकोन-भरत बंसल
अपनी मेहनत लगन और कर्तव्य निष्ठा के दम पर महज छोटी सी उम्र में स्वयं को उधोग जगत का ध्रुवतारा साबित कर चुके 14 मार्च 1986 को जन्मे भरत बंसल की सोच और उनका व्यक्तित्व उन्हें असधारण शख्सियत बनाती है। भरत कहते हैं जीवन की विषम परिस्थितियां आपको बहुत कुछ सिखाती हैं जितनी कठिन परिस्थितियों से आप गुजरते हैं उतने ही मजबूत और सक्षम बनकर उभरते हैं, अशोक आटो सेल्स के निदेशक भरत बंसल ने एक इंटरव्यू के दौरान युवक पत्रिका से बातचीत की जिसमें उनकी नीजी जिंदगी और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़े कई अनुभव उभरकर सामने आये…
बचपन कैसा बीता, पारिवारिक पृष्ठभूमि कैसी रही?
पारिवारिक पृष्ठभूमि अच्छी रही, दादाजी श्री राम किशोर बंसल सन् 1955 में सिरसा, हरियाणा से बिजनेस के लिए आगरा आए। टाटा मोटर्स ने सन 1955 में अपना प्रोडक्शन शुरू किया, उसके ठीक एक साल बाद वर्ष 1956 में दादाजी ने टाटा की डीलरशिप आगरा में शुरू की, जिसमें उन्होंने काफी सफलता पाई। आगे चलकर पिताजी भी उनके साथ आॅटोमोबाइल बिजनेस में सक्रिय हो गए, लेकिन साल 1988 हमारे परिवार के लिए काफी दुखद साबित हुआ। एक एक्सीडेंट में मेरे पिताजी, मां की आकस्मिक मृत्यु हो गई और परिवार पूरी तरह बिखर गया। तब मैं महज 2 साल का था, फिर मेरी बुआ जी डॉ. रंजना बंसल ने परिवार और कारोबार को संभाला। खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है।
आपकी एजुकेशन कहां से हुई और करियर की शुरूआत कैसे की?
मेरी स्कूलिंग सिंधिया स्कूल, ग्वालियर से हुई। उसके बाद अमेरिका की प्रड्यू यूनिवर्सिटी से मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर अपनी पढ़ाई की, फिर नॉर्वे की एक इंजीनियरिंग कंपनी में 1 साल मैंने जॉब किया। कैरियर की दिशा तय करने के लिए फैमिली की ओर से हालांकि मैं स्वतंत्रत था। मैंने अपॉर्चुनिटी देखी तो मुझे इंडिया मैं बिजनेस का अच्छा स्केल दिखा और साल 2010 में यहां आ गया। सबसे पहले मैंने रियल एस्टेट जॉइन किया और अशोक कॉसमॉस मॉल के अपने प्रोजेक्ट को 2 साल में स्टेब्लिस्स किया। उसके बाद में डीलरशिप के काम से जुड़ा जिसमें सबसे पहले मैंने वर्कशॉप देखना शुरू किया फिर एक्सपेंशन के साथ सेल्स पर भी मैंने काम प्रारंभ किया और इसी प्रकार धीरे-धीरे मैं कारोबार में पूरी तरह सक्रिय हो गया।
वर्तमान में आप किन-किन बिजनेस सेक्टर में काम कर रहे हैं?
वर्तमान में हम रियल एस्टेट और आॅटोमोबाइल सेक्टर में काम कर रहे हैं इनमें हमारा काफी स्ट्रांग होल्ड है और इसी में आगे विस्तार की योजना है क्योंकि आटोमोटिव में काफी अपॉर्चुनिटी हैं। यह क्षेत्र सिर्फ गाड़ी बेचने तक सीमित नहीं है इसमें गाड़ी सर्विस से लेकर फाइनेंस, इंश्योरेंस, री- मैन्यूफैक्चरिंग आदि का विस्तृत क्षेत्र है।
व्यक्ति की एजुकेशन उसको उसकी प्रोफेशनल लाइफ में सक्सेस बनाने में कितनी सहायक है?
देखिए, जैसे उदाहरण के तौर पर मैं अपनी बात करूं तो मैंने बिजनेस संभाला जिसकी एजुकेशन मैंने ली ही नहीं थी, मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की थी, मेरा मानना है एजुकेशन आपके वैचारिक स्तर को सुदृढ़ बनाती है। हो सकता है यह आपके प्रोफेशन पर सीधे रूप से प्रभावी न हो लेकिन आपकी एजुकेशन आपको सोचने का एक तरीका देती है अगर आपके सामने कोई प्रॉब्लम आ रही है तो उसका सॉल्यूशन आपको आपकी एजुकेशन ही देती है। ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कर लिया और आपकी एजुकेशन कंप्लीट हो गई, ऐसा नहीं है एजुकेशन एक निरंतर ली जाने वाली प्रक्रिया है। जैसे मैंने अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग कंप्लीट करने के बाद 1 साल का बिजनेस मैनेजमेंट में कोर्स किया उसके बाद डिजिटल मार्केटिंग को लेकर कोर्स किया और आगे एमबीए करना चाहता हूं तो यह लगातार सीखने और पढ़ने की इच्छा से ही हम तकनीकी और प्रतिस्पर्धा के युग में अपने आप को कामयाब बना सकते हैं।
शिक्षा सिर्फ करियर का साधन या संस्कारित भी करती है?
मेरा मानना है कि शिक्षा आपके करियर में तो अहम भूमिका निभाती ही है लेकिन संस्कारों की जहां तक बात है यह आपको आपके परिवार से ही मिलते हैं।
युवाओं की शारीरिक, मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू क्या है?
मेरी नजर में सबसे महत्वपूर्ण पहलू है सकारात्मक सोच, आज सामाजिक जीवन में नकारात्मक चीजें बड़ी तेजी के साथ लोगों में फैलती हैं इसलिए हमें हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
बदलती लाइफस्टाइल में युवाओं के सोचने और काम करने का तरीका बदल रहा है ऐसे में आप युवाओं को एक आदर्श जीवन की क्या सलाह देना चाहेंगे?
सबसे पहली जरूरत है कि आप अपनी सभ्यता और संस्कृति के साथ जुड़कर चलें, हमारी सभ्यता और संस्कृति हमें आध्यात्म से जोड़ती है और आध्यात्म से जुड़कर हमें विश्वास की शक्ति प्राप्त होती है। लाइफ में कई मौकों पर हमें विषम परिस्थितियों से जूझना होता है जहां हमें हमारी आध्यात्म की शक्ति ही हमें जो होगा बढ़िया होगा की भावना के साथ सकारात्मक विचार देकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
कहा जाता कि ईश्वर ने सब कुछ पूर्व निर्धारित कर रखा है इस बात से आप कितना इत्तेफाक रखते हैं?
देखिए, हो सकता भगवान ने कुछ न कुछ निर्धारित कर रखा हो, लेकिन हमारी मेहनत और कर्म का कोई विकल्प नहीं है इसलिए हमें हमेशा अपना कर्म करते रहना चाहिए।
हिन्दुस्तान सर्वाधिक युवाओं वाला देश है इस युवा शक्ति के दम पर आप भारत के भविष्य की क्या तस्वीर देखते हैं?
मेरा मानना है कि इसमें एजुकेशन की अहम भूमिका है। इसलिए जरूरी है कि भारत के स्वर्णिम भविष्य के लिए हम युवाओं के शैक्षणिक स्तर को सुधारने पर जोर दें।
युवाओं में व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ राष्ट्र के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू क्या है?
सबसे महत्वपूर्ण बात, मेरा मानना है कि सिर्फ पैसा कमाना व्यक्तिगत विकास नहीं होता। व्यक्तिगत विकास के लिए जरूरी है कि आप अपने अंदर नए-नए स्किल डेवलप करें और नई तकनीकी और ज्ञान के साथ खुद को अपग्रेड करें इसी से आपका औरआपके राष्ट्र का विकास होगा।
सोशल मीडिया पर आज का युवा काफी सक्रिय है इसको आप किस नजरिए से देखते हैं?
सोशल मीडिया को लेकर मेरी दोहरी राय है। हां यह ठीक है कि आप इसके जरिए वर्ल्ड वाइड कनेक्टेड रहते हैं लेकिन इसके विपरीत इस पर भ्रामक चीजों से आप प्रभावित भी होते हैं जो कि आपके लिए काफी हानिकारक है। इसका उपयोग सीमित और सही दिशा में करें यह बेहद जरूरी है।
लाइफ का कोई खास अनुभव जो आप अपने साथी युवाओं से साझा करना चाहे?
मेरा मानना है कि अच्छी परिस्थितियों के अलावा जीवन में जो आपके सामने जो बुरी परिस्थितियां आती हैं वह आपको बहुत कुछ सिखाती हैं। जितनी बुरी परिस्थितियों से आप गुजरते हैं उतने ही मजबूत और सक्षम बनकर उभरते हैं।
लाइफ का अगर कोई लम्हा दोहराने का मौका मिले तो ऐसा कौन सा वक्त है जो आप फिर से जीना चाहेंगे?
अगर ऐसा कोई मौका मिले तो मैं अपने स्कूल टाइम को निश्चित रूप से फिर से जीना चाहूंगा।
प्रोफेशनल लाइफ में कोई ऐसी सीख जो आपको आपके पेरेंट्स से मिली?
सबसे महत्वपूर्ण सीख जो मुझे मेरे दादाजी से मिली वह यह थी कि काम को अपने काम पर छोड़ कर आओ। घर पर आकर घर का रूटीन फॉलो करो,सुकून से परिवार के साथ वक्त बिताओ। टेंशन फ्री लाइफ दादाजी की हेल्थ का सबसे बड़ा राज था। 94 साल की उम्र तक वह आॅफिस गए और 96 साल की उम्र में उनका स्वर्गवास हुआ निश्चित रूप से वे आदर्श जीवन की एक मिसाल थे।
जब आपने कारोबार में कदम रखा तब आपको किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
बिजनेस वर्ल्ड में वैसे तो हर रोज नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं। जब मैं कारोबार में आया तो यहां के तरीकों को समझने में मुझे तीन-चार साल का वक्त लगा, क्योंकि यहां पर काम करने का तरीका अन्य देशों के मुकाबले काफी अलग है। यहां बिजनेस में कई तरह के चेलेंज फेस करने होते हैं चाहे वह प्रशासनिक अनुमतियों का मसला हो या फिर कारोबार को खड़ा करने के लिए अनुभवी कर्मचारियों का। शुरू के दिनों में जब मैं बिजनेस में कुछ परिस्थितियों को लेकर मैं काफी परेशान था तब एक मेरे जानने वाले जोकि काफी सक्सेसफुल भी हैं उन्होंने मुझसे एक बात पूछी कि रियल स्टेट में पैसा है? तो मैंने उनको जवाब दिया हां पैसा है। तो उन्होंने कहा कि तो फिर सारे लोग रियल एस्टेट क्यों नहीं करते? तो उन्होंने बताया कि जो रियल स्टेट की परिस्थति है वह सारे लोग झेल नहीं पाते इसलिए सभी लोग इसे नहीं करते, अगर यह परिस्थितियां अनुकूल होती तो हर व्यक्ति इसमें होता और यदि सभी कर रहे होते तो जितना रिटर्न आज मिल रहा है उतना नहीं मिलता। जब मैंने ठंडे दिमाग से उनकी बात सुनी और समझी तो मुझे समझ आया कि जो काम आसान होता है उसमें न चैलेंज होता है, न मजा आता है और न प्रॉफिट होता है और जो काम हार्ड होता है उसमें सारी चीजें होती है।