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आने वाले तीन सालों में होगी 2 लाख डाटा एनालिस्ट की जरूरत

बिग डाटा यानी डिजिटल पिक्चर, वीडियो, ट्रांजैशन रेकॉर्ड, पोस्ट या फिर मैसेज के रूप में इसका सूचनाओं का बड़ा भंडार। ये वे सूचनाएं हैं, जो तमाम वेबसाइट्स के सर्वर पर स्टोर हैं। आपने कभी सोचा है कि फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब या जीमेल आदि पर जो जानकारियां आप शेयर करते हैं या फिर जो ऑनलाइन ट्रांजैक़शन करते हैं, आखिर ये सब जानकारियां जाती कहां? दरअसल, ये सूचनाएं नष्ट नहीं होतीं, बल्कि सर्वर पर इका होती रहती हैं। इसे ही बिग डाटा नाम दिया गया है। बिजनेस कंपनियों के लिए ये डाटा बहुत काम का होता है। इसका इस्तेमाल करके वे अपनी बिक्री में सुधार कर सकती हैं और मार्केट स्ट्रैटेजी में खुद को आगे रख सकती हैं।

डेटा एनालिस्ट उन पेशेवरों को कहा जाता है, जिनके पास प्रोग्रामिंग, स्टैटिस्टि?स, एप्लायड मैथमेटिकसऔर कंप्यूटर की अच्छी जानकारी होती है। ये डेटा कोअच्छी तरह से देख-परखकर अहम जानकारियों को खंगालते हैं। डेटा स्टोर करने वाली कंपनियां जैसे गूगल, अमेजन, माइक्रोसॉफट, इबे, लिंकइन, फेसबुक, ट्विटर आदि को सबसे अधिक डेटाएनालिस्ट की जरूरत पड़ती है। यदि किसी कंपनी के बिजनेस में गिरावट आ रही है तो ये उसके सर्वर पर मौजूद डेटा का विश्लेषण करते हुए कंपनी को फायदे में पहुंचाने का तरीका तलाशते हैं। कई बार उन विश्लेषणों के आधार पर ये नए बिजनेस की योजना भी तैयार करते हैं।

नास्कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष डेटाएनालिसिस इंडस्ट्री ने 23 अरब डॉलर का कारोबार किया। इस साल इसमें और अधिक बढ़त देखने को मिल रही है। इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, डेटा उत्पादन वर्ष 2020 तक बढ़कर करीब 40 जैटाबाइट हो जाएगा। इतने बड़े डेटा भंडार के लिए लगभग साढ़े सात लाख डेटा पेशेवरों की जरूरत पड़ेगी।

यदि कोई छात्र डेटा एनालिस्ट बनना चाहता हैं तो उसे 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक होना जरूरी है। कुछ ऐसे भी संस्थान हैं, जो मास्टर डिग्री के बादएडवांस सर्टिफिकेट या पीजी डिप्लोमा में दाखिला देते हैं। इनमें मैथमेटिकस, स्टैटिस्टिकस, कंप्यूटर साइंसऔर अकाउंटिंग के छात्रों को वरीयता दी जाती है। डेटा एनालिसिस के कोर्स में मार्केट रिसर्च प्रोसेस, रिसर्च मेथड एवं डिजाइन, डेटा कले?शन प्रोसेस, डेटाएनालिसिस के टूल और डेटा एनालिसिस पर प्रमुखता से ध्यान रखा जाता है। इसमें छह माह से लेकर दो साल तक के कोर्स शामिल हैं। डेटा एनालिस्ट का काम जिमेदारी भरा होता है, कयोंकि बिजनेस में आए उतार-चढ़ाव को डेटा के जरिए सुलझाने का जिमा इन्हीं का होता है। जिन पेशेवरों की मैथमेटिकस और स्टैटिस्टिकस पर बेहतर पकड़ है और जो प्रोग्रामिंग कीअच्छी समझ रखते हैं, वे इस क्षेत्र में ऊंचा मुकाम हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा उनके अंदर टीम भावना, प्रभावी संचार कौशल, लंबे समय तक काम करने की क्षमता, धैर्य, तार्किक ढंग से सोचने की क्षमता, बिजनेस ट्रेंड की जानकारी जैसे गुण होने जरूरी हैं। इससे करियर में आगे बढऩा आसान हो जाता है। सफलतापूर्वक कोर्स करने के बाद पेशवरों को शुरुआती दौर में 30-35 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन आसानी से मिल जाता है। जबकि दो से तीन साल का अनुभव हासिल कर लेने के बाद उन्हें 50 हजार से 60 हजार रुपये प्रतिमाह तक वेतन मिलने लगता है। बहुराष्ट्रीय और विदेशी कंपनियां डेटाएनालिस्ट को मोटा पैकेज दे रही हैं। आज कई ऐसे डेटा एनालिस्ट हैं, जो विदेशों में लाखों के पैकेज पर काम कर रहे हैं। अध्यापन करने वालों को भी 60-70 हजार रुपये हर महीने आसानी से मिल रहे हैं। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में डाटा का इस्तेमाल बढ़ रहा है। हालांकि अभी भी विश्व भर में सिर्फ 5 प्रतिशत सूचनाएं ही बिग डाटा के तहत इस्तेमाल हो पा रही हैं। बैंकिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस, ई-कॉमर्स और डाटा एनालिटिकस से जुड़ी स्टार्ट-अह्रश्वस कंपनियां इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने पर जोर दे रही हैं। नैस्कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 तक भारतीय डाटा एनालिटिकस बाजार दोगुना होकर करीब 2.3 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उममीद है। यानी कंपनियां डाटा एनालिटिकस पर लगातार निवेश कर रही हैं। वहीं, इंटरनेशनल डाटा कॉर्पोरेशन की रिपोर्टकी मानें, तो वर्ष 2020 तक डाटा का प्रोडशन 50 गुना बढ़कर करीब 40 जेटाबाइट्स तक पहुंच जाएगा। ऐसे में डाटा वॉल्यूम बढऩे से बहुत-सी कंपनियों के लिए डाटा एनालिस्ट को हायर करना जरूरी हो गया है। कस्टमर सर्विस से जुड़ी कंपनियों के लिए डाटा कैसे बहुत उपयोगी है, इसे इस तरह समझा जा सकता है: मान लें कोई कंपनी पिज्जा शॉप चलाती है। उसे अपने डाटा से पता चलता है कि किसी खास दिन उसके पिज्जा की बिक्री बहुत ज्यादा रहती है और सप्ताह के कुछेक दिन बहुत कम। ऐसे में वह ग्राहकों को आकर्षित करने के एक सप्ताह के बाकी दिनों में कोई स्कीम या ऑफर दे सकती है। वह यह भी जान सकती है कि किस मौसम में उसका कौन-सा प्रोडकट ज्यादा डिमांड में रहता है। इस आधार पर वह नया बिजनेस ह्रश्वलान भी बना सकती है। इसी तरह, टेलीकॉम कंपनियां नंबर पोर्टेबिलिटी स्कीम लागू होने से अपने ग्राहक के पलायन को रोकने के लिए उन्हें नई स्कीम से आकर्षित कर सकती हैं।